हिन्दू संतों के किसी भी मामले में हमारा कथित रूप से नेशनल लेकिन वास्तव में “नोएडा-गुडगाँव छाप” मीडिया बहुत उतावला रहता है, चाहे मामला आसाराम बापू का हो या फिर असीमानंद का.

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पिछले कुछ वर्षों में चर्च के पादरियों द्वारा बाल यौन शोषण की घटनाएँ पश्चिम में अत्यधिक मात्रा में बढ़ गई हैं. समूचा वेटिकन प्रशासन एवं स्वयं पोप पादरियों की इस “मानसिक समस्या” से बहुत त्रस्त हैं. ऐसे ही एक यौनपिपासु पादरी को वेटिकन ने भारत में नियुक्त किया है... विस्तार से पढ़िए...

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