राष्ट्रवादी कहलाने वालों की सत्ता में उन के वैचारिक समर्थकों, एक्टिविस्टों की विचित्र दुर्गति है। वे उसी तरह असहाय चीख-पुकार कर रहे हैं, जैसे कांग्रेसी या जातिवादियों के राज में करते थे। चाहे, वह मंदिरों पर राजकीय कब्जा हो, संविधान की विकृति हो, या शिक्षा-संस्कृति में हिन्दू विरोधी नीतियाँ हों। वे आज भी शिक्षा में हिन्दू विरोधी पक्षपात को दूर करने के लिए रो रहे हैं।

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“यह जानकर हैरानी होती है कि राज्य का हिन्दू धार्मिक एवं चैरिटेबल एन्डावमेंट विभाग (HRCE Act), जो कि विभिन्न मंदिरों से जबरदस्त आय प्राप्त कर रहा है, वह कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक मंदिरों की देखभाल ठीक से नहीं कर पा रहा है और ना ही अमूल्य किस्म की प्राचीन मूर्तियों का संरक्षण और रक्षा कर पा रहा है.

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हिन्दू मन्दिरों की लूट के सम्बन्ध में पिछले दो भागों में आपने काफी कुछ पढ़ा.. इस श्रृंखला के पहले भाग को पढने के लिए यहाँ क्लिक करें... और दूसरे भाग को पढने के लिए यहाँ क्लिक करें...

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ज़ाहिर है कि शीर्षक पढ़कर आप चौंक गए होंगे. स्वाभाविक सी बात है, क्योंकि आपके दिमाग में यह बैठा दिया गया है कि शिक्षा का अधिकार क़ानून यानी राईट टू एजूकेशन (RTE) एक गरीब समर्थक और समाज की भलाई के लिए बनाया क़ानून है.

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