या अल्लाह... तुम तो हमें अकेले में चीखने दो और जोर जोर से रोने दो। कहीं एकान्त में हमारा दम ही न निकल जाए। बुरके की घुटन में लोक जीवन की चारदीवारी में हमें इतना जी भर के रो लेने दो कि हमारी आखों में एक भी आंसू बाकी न बचे।

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