दरअसल महाकुंभ और मदरसों की तुलना नहीं की जा सकती। महाकुंभ हमारी प्राचीन, सनातन संस्कृति, आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं। ये आयोजन सिर्फ हिंदुओं तक ही सीमित नहीं हैं। महाकुंभ में तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा भी पधार चुके हैं और वहां ‘बुद्ध विहार’ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। महाकुंभ में दलित व्यक्ति को भी ‘महामंडलेश्वर’ के पद पर विभूषित किया जा चुका है और पुजारी भी नियुक्त किए गए हैं।

Published in आलेख

स्कूल में नमाज के लिए अलग कमरे की माँग... :- पश्चिम बंगाल में फलता-फूलता सेकुलरिज़्म...

२४ जून २०१६ को कुछ मुसलमान छात्रों ने अचानक दोपहर को अपनी कक्षाएँ छोड़कर स्कूल के लॉन में एकत्रित होकर नमाज पढ़ना शुरू कर दिया था, जबकि उधर हिन्दू छात्रों की कक्षाएँ चल रही थीं. चूँकि उस समय यह अचानक हुआ और नमाजियों की संख्या कम थी इसलिए स्कूल प्रशासन ने इसे यह सोचकर नज़रंदाज़ कर दिया कि रमजान माह चल रहा है तो अपवाद स्वरूप ऐसा हुआ होगा. लेकिन नहीं...

Published in ब्लॉग