"गंगा-जमनी" के नाम पर स्वयं से छल कब तक करें?
जिस प्रकार तुर्की स्थित खलीफाओं के अत्याचारों को नकारने के लिए एक पूरी व्यवस्था को जन्म एवं समर्थन दिया गया, जिसमें गाँधी समर्थित खिलाफत आन्दोलन शामिल है, जबकि यह कोई खिलाफत आन्दोलन (Khilafat Movement) नहीं था, यह तुर्की के इस्लामी खलीफा को बचाने वहां लोकतंत्र की स्थापना के खिलाफ आन्दोलन था.
खिलाफत आंदोलन : गाँधी की जिद, और हिंदुओं का संहार (भाग-२)
पिछले भाग में आपने पढ़ा (यहाँ क्लिक करके पिछले भाग पढ़ा जा सकता है) कि किस तरह भारत में इस्लामिक पार्टियों, संस्थाओं और जिन्ना ने गाँधी-नेहरू को बेवकूफ बनाकर पाकिस्तान बनाने की नींव 1909 में ही रखनी शुरू कर दी थी.
बँटवारा, खिलाफत आंदोलन :- जिन्ना, गाँधी और आंबेडकर
भारत का बँटवारा एक कटु ऐतिहासिक सत्य है. 1947 में भारत छोड़कर जाने से पहले अंग्रेज भारत के कई टुकड़े (Partition of India) करके गए थे. सीमाओं के दोनों तरफ भीषण खूनखराबा हुआ था और अंततः मुसलमानों को उनका अपना एक देश “पाकिस्तान” के रूप में मिला.