गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 19:14
संकीर्ण विचारधारा से टूटता हुआ भारत का सामाजिक ढाँचा
भारत वर्ष की समाजिक व्यवस्था सदियों से धार्मिक व सामाजिक सद्भाव व सौहार्द पर आधारित रही है। देश के ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो हमें यह बताते आ रहे हैं कि किस तरह हमारे पूर्वजों ने सौहार्द की वह बुनियाद रखी जिस का अनुसरण आज तक हमारा देश और यहाँ के बहुसंख्य लोग करते आ रहे हैं।
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सोमवार, 06 फरवरी 2017 19:13
अल्लाह हमें रोने दो - एक मुस्लिम औरत की व्यथा
या अल्लाह... तुम तो हमें अकेले में चीखने दो और जोर जोर से रोने दो। कहीं एकान्त में हमारा दम ही न निकल जाए। बुरके की घुटन में लोक जीवन की चारदीवारी में हमें इतना जी भर के रो लेने दो कि हमारी आखों में एक भी आंसू बाकी न बचे।
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