भारत वर्ष की समाजिक व्यवस्था सदियों से धार्मिक व सामाजिक सद्भाव व सौहार्द पर आधारित रही है। देश के ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो हमें यह बताते आ रहे हैं कि किस तरह हमारे पूर्वजों ने सौहार्द की वह बुनियाद रखी जिस का अनुसरण आज तक हमारा देश और यहाँ के बहुसंख्य लोग करते आ रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं की सैकड़ों याचिकाओं को देखते हुए जल्दी ही तीन तलाक, हलाला, शरीयत कोर्ट और बहुविवाह जैसे मामलों के संवैधानिक पहलुओं को देखने और इन पर दिशानिर्देश जारी करने के लिए पाँच जजों की एक संवैधानिक पीठ गठित की जाएगी.

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या अल्लाह... तुम तो हमें अकेले में चीखने दो और जोर जोर से रोने दो। कहीं एकान्त में हमारा दम ही न निकल जाए। बुरके की घुटन में लोक जीवन की चारदीवारी में हमें इतना जी भर के रो लेने दो कि हमारी आखों में एक भी आंसू बाकी न बचे।

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