परिवार भारत का वैशिष्ट्य माना जाता है। यह इसलिए कि परिवार के भाव का जो विस्तार भारतभूमि में हुआ, वह अन्यत्र कहीं और नहीं हुआ, बल्कि हुआ यह कि जो परिवार भारत में एक भाव था और जिसका विस्तार अपने कुटुम्ब से बढ़ कर संपूर्ण पृथ्वी तक हुआ था, उस परिवार भाव को अन्यत्र विशेषकर यूरोप में एक संस्था माना और बना दिया गया और इस प्रकार वह एक व्यक्तिगत सत्ता का प्रतीक बनकर रह गया।

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पिछले कुछ समय से कई “हिन्दू” बाबा, प्रवचनकार, संत इत्यादि विभिन्न आरोपों में पकड़े जा रहे हैं या जेल जा रहे हैं. जब भी ऐसा कोई मौका आता है, तब वामपंथियों की पौ-बारह हो जाती है. ऐसे बाबाओं को लेकर अर्थात प्रकारांतर से हिन्दू धर्म को लेकर “वामी मज़हब” वाले लोग (जी हाँ!!! वामपंथ भी एक मज़हब है, इस्लाम से भी खतरनाक) हिंदुओं को कोसने लगते हैं कि “हिंदुओं के धर्म में वैज्ञानिकता नहीं है”...

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शत्रु का शत्रु मित्र होता है इस सिद्धांत से अक्सर "वामी-इलहामी" कंधे से कंधा मिलाकर भारत के राष्ट्रवादीयों को निपटाने में तत्पर दिखाई देते हैं. वामियों को इलहमियों में कोई फासिस्ट प्रवृत्ति नजर नहीं आती, भगवे के अंधे को हरा अच्छा दिखाता होगा शायद.

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