किसी भी सरकार में वित्त, रक्षा, गृह और विदेश मंत्रालय के बाद दो सबसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय होते हैं, मानव संसाधन और सूचना प्रसारण मंत्रालय (Information and Broadcasting Ministry). पिछली सरकारों खासकर वामपंथ समर्थित काँग्रेस सरकारों ने इन दोनों ही मंत्रालयों का जनता को अपने पक्ष में मोड़ने, तथा पाठ्यक्रमों व इतिहास में मनमाने बदलाव करके ब्रेनवॉश करने के लिए बेहतरीन उपयोग किया है.

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किसी भी समाज में विचार बरसों बरस के लिए कैसे स्थापित होते हैं इसको समझना है तो भारत में वामपंथ को समझिए , आज गंभीर "राष्ट्रवादियों" का एक बहुत बड़ा तबका वामपंथियों को कोसने में अपना समय खर्च करता है , क्यों ? क्या वामपंथी एक दो राज्य छोड़कर कहीं सत्ता में हैं ? क्या उनका कोई व्यापक जनाधार है ? क्या उनका काडर बेस है ? क्या यूवा उनके विचार की तरफ तरफ आकर्षित हैं ? नहीं , सबका जवाब नहीं में ही आएगा , ऐसा कुछ भी नहीं है फिर भी देश के केंद्र में और आधे राज्यों में राज करने वाली विचारधारा के लोग वामपंथ से भयाक्रांत हैं ? क्यों ?

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