बचपन से लेकर आज तक लगभग हम सभी ने अपनी-अपनी इतिहास की पुस्तकों में कई मुग़ल बादशाहों की “महानता”, “दयालुता” के चिकने-चुपड़े किस्से पढ़े हैं, सुने हैं. विभिन्न पुस्तकों में मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर को “दीन-इ-इलाही” नामक पंथ का आविष्कारक भी बताया गया है, और हमारे दिमागों में ठूँस-ठूँस कर यह भरा गया है कि अकबर हो या औरंगज़ेब ये सभी मुग़ल बादशाह बहुत ही कोमल हृदय वाले और हिन्दुओं के साथ न्यायप्रिय व्यवहार करने वाले थे. परन्तु क्या वास्तव में ऐसा है??

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