रविवार, 05 अगस्त 2018 13:19
वे पन्द्रह दिन :- ८ अगस्त १९४७
शुक्रवार आठ अगस्त.... इस बार सावन का महीना ‘पुरषोत्तम (मल) मास’हैं. इसकी आज छठी तिथि हैं, षष्ठी. गांधीजी की ट्रेन पटना के पास पहुंच रही है. सुबह के पौने छः बजने वाले हैं. सूर्योदय बस अभी हुआ ही है. गांधीजी खिड़की के पास बैठे हैं. उस खिड़की से हलके बादलों से आच्छादित आसमान में पसरी हुई गुलाबी छटा बेहद रमणीय दिखाई दे रही है. ट्रेन की खिड़की से प्रसन्न करने वाली ठण्डी हवा आ रही है. हालांकि उस हवा के साथ ही इंजन से निकलने वाले कोयले के कण भी अंदर आ रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर वातावरण आल्हाददायक है, उत्साहपूर्ण है. (पिछले भाग.. यानी ७ अगस्त १९४७ वाला लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें).
Published in
आलेख