उल्लेखनीय है कि विगत दशक भर से दुनिया भर के चर्चों में बाल यौनशोषण की बढ़ती घटनाओं से वेटिकन बेहद परेशान है. पिछले पोप ने भी कुछ पादरियों के इन घृणित गुनाहों पर पर्दा डाल दिया था, जबकि उससे पहले के पोप पर तो अपुष्ट रूप से इसी गुनाह में शामिल होने के आरोप लगते रहे. यूरोपीय और लैटिन अमरीकी देशों में वेटिकन ने 2000 से 2012 तक बलात्कारी पादरियों के कुकर्मों के एवज में पीड़ितों को लाखों डॉलर का मुआवज़ा बाँटा है, लेकिन फिर भी यह “बीमारी” लगातार बढ़ती ही जा रही है. हाल ही में ऐसे ही एक यौन दुराचारी बिशप को पोप ने भारत के केरल चर्च में नियुक्त किया है, जिसका दबे स्वरों में विरोध शुरू हो गया है. चूँकि पोप खुद रूचि लेकर अपराधी तत्वों को माफी देने अथवा उनके कुकृत्यों को छिपाने में लगे रहते हैं तो ऐसे में चर्च के निचले स्तर के अधिकारी क्या बोलेंगे?
रेवरेंड माउरो इन्जोली को 2012 में बाल यौन शोषण का दोषी पाया गया था, और उसकी पदवी छीन ली गई थी. लेकिन इन्जोली ने 2014 में पुनः पोप के समक्ष दया याचिका लगाई और पोप ने कहा कि चूँकि चर्च “दया” का दूसरा नाम है, इसलिए इसकी सजा में कमी करते हुए उसे “आजीवन प्रार्थना” की सजा सुना दी है. रेवरेंड इन्जोली को बारह वर्ष से कम पाँच बच्चों के साथ कुकर्म का दोषी पाया गया था. पहले इस पर दो बच्चों के यौनशोषण का आरोप सिद्ध हुआ था, लेकिन बाद में हिम्मत करके तीन बच्चे और उनके पालक सामने आए और अब पुनः इस पर केस चलने वाला है.
पीड़ित बच्चे की एक माता मैरी कॉलिंस ने बताया कि पोप द्वारा इस तरह यौन अपराधियों का खुल्लमखुल्ला साथ देने से कुकर्मियों के हौसले बढ़ रहे हैं और चर्च का वातावरण खराब हो रहा है. कॉलिंस ने आगे कहा कि इन पादरियों की उपाधि छीनना अथवा भारी जुर्माना लगाना पर्याप्त सजा नहीं है, क्योंकि यह जुर्माना अंततः हमारे ही किसी भाई की जेब से जाएगा, इन लोगों की सही जगह जेल में है. आखिर चर्च की बदनामी के डर से हम लोग कब तक खामोश रहेंगे? इसी प्रकार कुछ वकीलों ने भी तर्क दिया है कि यौनशोषण के आदी हो चुके ऐसे ढेरों पादरियों की उपाधि छीनकर उन्हें बिना किसी सजा के समाज में छोड़ देना और भी खतरनाक है, क्योंकि तब उन पर चर्च की निगरानी भी नहीं रहेगी और माफी पाकर वे और भी उद्दण्ड हो जाएँगे. मैरी कॉलिंस ने कहा कि पोप को कम से कम उन पीड़ित छोटे बच्चों और उनके भविष्य के जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का तो विचार करना चाहिए था.