CCTV फुटेज के अनुसार 3.45 पर आग तेजी से फैलना शुरू हुई जिस पर पन्द्रह फायर फाईटर की मदद से साढ़े छः बजे तक काबू पाया जा सका. इस “रहस्यमयी आग” में मंदिर परिसर की तीन पुरानी इमारतें जल गईं हैं, यह इमारतें उसी स्थान पर स्थित हैं, जिसके नीचे जमीन के अंदर तहखाने स्थित हैं. प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार पोस्ट ऑफिस विभिन्न पार्सलों से भरा पड़ा था और इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी अज्ञात पार्सल में रखी किसी वस्तु से आग लगाई गई हो.
तिरुअनंतपुरम (केरल) स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर कुछ समय पहले सुर्ख़ियों में रहा था, जब यहाँ से दुनिया का सबसे बड़ा खजाना निकला था. वास्तव में यह कोई खजाना नहीं है, वह हिंदुओं द्वारा दान में दिए गए तथा त्रावणकोर राजघराने द्वारा भगवान की सेवा में अर्पित व संचित धन है, जो कि मंदिर के सात बड़े-बड़े तहखानों में रखा गया था. लेकिन एक “सेकुलर मुहिम” चलाई गई और अंततः सुप्रीम कोर्ट को इस मंदिर के तहखाने खोलकर दुनिया के सामने दिखाना पड़ा कि हिन्दू मंदिर कितने धनवान और प्रभावशाली हैं. सबसे खतरनाक बात यह है कि विश्व के सबसे धनी इस मंदिर में पिछले छः माह में तीन बार आग लग चुकी है, लेकिन वामपंथी और कांग्रेसियों से अटे पड़े केरल में इस बात की किसी को परवाह ही नहीं है कि आखिर बारम्बार यह रहस्यमयी आग क्यों और कैसे लग रही है (या लगाई जा रही है). केरल देवस्वं बोर्ड के मंत्री कदमपल्ली सुरेन्द्रन ने रटारटाया बयान दिया है कि “मामले की जाँच की जाएगी...”.
अग्निशमन विभाग ने पिछले ही माह मंदिर के पूर्वी द्वार के आसपास एक “फायर ऑडिट” शुरू किया था, लेकिन सरकार से कोई सहयोग और समन्वय नहीं मिलने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया और फिर से यह आग लग गई. अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर अग्निशमन विभाग के अधिकारी ने कहा कि जब से उस विराट खजाने और तहखानों की बात सार्वजनिक हुई है, उसके बाद से ही मंदिर के आसपास कई अवैध मकान और झुग्गियाँ खड़ी हो गई हैं, जो कि बेहद आपत्तिजनक हैं, लेकिन सरकार के पास शिकायत कौन करे? 28 अगस्त 2016 को भी ऐसी ही रहस्यमयी आग लगी थी, जिसमें मंदिर के आसपास स्थित कई दुकानें भस्म हो गई थीं. पद्मनाभ मंदिर और इसके खजाने की सुरक्षा वास्तव में बहुत ही नाज़ुक चल रही है... अंदर ही अंदर क्या खिचड़ी पाक रही है कोई नहीं जानता. जब तक दुनिया को स्वर्ण और गहनों के इस भण्डार का पता नहीं था, तब तक ऐसी “दुर्घटनाएँ” बहुत ही कम होती थीं... लेकिन अब हिंदुओं के इस खजाने पर सेकुलरों-वामपंथियों तथा विश्व के बड़े-बड़े माफियाओं की निगाह जमी हुई है, कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. क्योंकि मूल सवाल यही है कि मंदिर परिसर में पोस्ट ऑफिस क्यों है? उस पोस्ट ऑफिस में सैकड़ों की तादाद में पार्सल क्यों भरे पड़े हैं? पहले से ही भीड़भाड़ वाले इस मंदिर परिसर का फायर ऑडिट क्यों नहीं होता? अनमोल गहनों से भरे पड़े तहखानों की सुरक्षा किसके भरोसे है?
अतः केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि वे पूरे मंदिर परिसर को अपने कब्जे में ले, राज्य सरकार पर कतई भरोसा नहीं करे तथा मंदिर का पूरा फायर ऑडिट करवाया जाना चाहिए, साथ ही आसपास के अतिक्रमण और अवैध इमारतें गिराई जानी चाहिए. आशा है कि सुप्रीम कोर्ट के कथित “सक्रिय माननीय” भी इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएँगे, वर्ना हिंदुओं का क्या है, पहले भी लुटते-पिटते रहे हैं, इस बार भी कोई बाहरी या मलेच्छ स्वामी पद्मनाभ को लूट ले जाएगा...
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