desiCNN - Items filtered by date: मार्च 2017

किसी भी देश में लोकतंत्र एक मंदिर के समान होता है। मतदाता जिसके पुजारी होते हैं। चुनाव जिसकी पूजा पद्धति होती है। जनप्रतिनिधि जिसमें ईश्वर के समान होता है। चुनाव का परिणाम जिसमें प्रसाद स्वरूप होता है।

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2015 में पुणे में NGOs का एक सम्मेलन हुआ था, उसमें मंच पर उपस्थित 75 वर्षीय सोमभाई नामक व्यक्ति ने जब माईक पर बोलना आरम्भ किया और सामने बैठी जनता को यह परिचय दिया गया कि ये नरेंद्र मोदी के बड़े भाई हैं, तो एक सनसनी, कौतूहल पूरे हॉल में पसर गया.

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उत्तरप्रदेश का चुनाव परिणाम लगभग अव्याख्येय है, राजनीतिक विश्लेषक उत्तर प्रदेश के परिणामों को लेकर नई शब्दावली बढ़ने की कश्मकश में है, विपक्ष भौचक्का है, विस्मित है, जनता अपना चमत्कार दिखा चुकी है और मोदी-अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा इतिहास रच चुकी है।

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पिछले भाग (यहाँ क्लिक करके पढ़ा जा सकता है) में मैंने पंजाब और गोवा के चुनाव परिणामों का विश्लेषण किया था, क्योंकि वहाँ भाजपा हारी है. जीत का नशा सवार नहीं होना चाहिए, और पहले हमेशा ही हार की तरफ ध्यान देना चाहिए.

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अगर आपको नए स्थान पर कभी दिशाभ्रम हुआ होगा, तो एक अनोखी चीज़ पर भी ध्यान जायेगा. चौराहे पर खड़े व्यक्ति को जब दाहिने मुड़ना है या बाएं, यह समझ नहीं आता तो वो सीधा आगे भी बढ़ सकता है. ऐसे में वो अपनी मंजिल से उल्टी दिशा में नहीं जाएगा, लेकिन वो ऐसा करेगा नहीं.

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भाग - १ :- पंजाब और गोवा... 

आख़िरकार 11 मार्च 2017 का वह दिन आ ही गया, जिसका केवल भारत ही नहीं विदेशों में भी बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा था. देश में तो खैर बेचैनी थी ही, विदेशों में भी इन चुनाव परिणामों को लेकर कम बेचैनी नहीं थी.

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पाकिस्तान में सिंध के सहवान कस्बे में बम विस्फोट में 100 से अधिक लोग मारे गए। यह आत्मघाती हमला लाल शाहबाज कलंदर की दरगाह पर हुआ। लाल शाहबाज कलंदर का असली नाम सैयद मुहम्म द उस्मानन मरवंदी (1177-1275) था।

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ये है असली नारी शक्ति... कर्नाटक में बंगलौर के श्रीरामपुरा इलाके में रहने वाली एक महिला हैं, नाम है चन्नम्मा. इनकी शादी 1987 में गणेश नामक एक कब्र खोदने का काम करने वाले व्यक्ति से हुई थी.

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नारी जाति के विषय में वेदों को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। भारतीय समाज में वेदों पर यह दोषारोपण किया जाता हैं की वेदों के कारण नारी जाति को सती प्रथा, बाल विवाह, देवदासी प्रथा, अशिक्षा, समाज में नीचा स्थान, विधवा का अभिशाप, नवजात कन्या की हत्या आदि अत्याचार हुए हैं।

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असम सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों में 8वीं क्लास तक संस्कृत को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। हमारे देश में एक विशेष समूह है जो हमारी सभी प्राचीन मान्यताओं का हरसंभव विरोध करना अपना कर्त्तव्य समझता है।

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