राहुल गाँधी और काँग्रेस की अंदरूनी राजनीति
सत्ता की भनक सूँघने में कांग्रेसियों से ज्यादा माहिर कोई नहीं होता, इसलिए आज यदि कई कांग्रेसियों को लग रहा है कि राहुल गाँधी उन्हें सत्ता दिलवाने में नाकाम हो रहे हैं तो षड्यंत्र और गहराएँगे. काँग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गाँधी को सबसे पहले “अपने घर” पर ध्यान देना चाहिए. एकाध बार तो ठीक है, परन्तु हमेशा खामख्वाह दाढ़ी बढ़ाकर प्रेस कांफ्रेंस में एंग्री यंगमैन की भूमिका उनके लिए घातक सिद्ध हो रही है.
आतंकी नावेद को है हिंदुओं की हत्या का चस्का...
ख़ासा स्मार्ट, परिवार या पास-पड़ौस के ही शरारती लड़के जैसा किशोर, अभी मसें भी नहीं भीगीं, मीठी मुस्कराहट बिखेरता चेहरा और उदगार "मैं यहाँ हिन्दुओं को मारने आया हूं, मुझे ऐसा करने में मज़ा आता है " ये वर्णन जम्मू के नरसू क्षेत्र में बीएसएफ की एक बस पर ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद गांव वालों की साहसिक सूझ-बूझ से दबोचे गये एक आतंकवादी का है।
भारतीय शौच व्यवस्था एवं वामकुक्षी
सदियों से भारतीय ज्ञान एवं संस्कारों की एक महान परंपरा रही है. वेदों-पुराणों-ग्रन्थों सहित विभिन्न उत्सवों एवं सामान्य सी दिखाई देने वाली प्रक्रियाओं में भी हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य के स्वास्थ्य एवं प्रकृति के संतुलन का पूरा ध्यान रखा है.
मिशनरी, NGO और बाल श्रमिक : एक खतरनाक रैकेट
हमारे भारत के “तथाकथित मेनस्ट्रीम” मीडिया में कभीकभार भूले-भटके महानगरों में काम करने वाले घरेलू नौकरों अथवा नौकरानियों पर होने वाले अत्याचारों एवं शोषण की दहला देने वाली कथाएँ प्रस्तुत होती हैं. परन्तु चैनलों अथवा अखबारों से जिस खोजी पत्रकारिता की अपेक्षा की जाती है वह इस मामले में बिलकुल नदारद पाई जाती है. आदिवासी इलाके से फुसलाकर लाए गए गरीब नौकरों-नौकरानियों की दर्दनाक दास्तान बड़ी मुश्किल से ही “हेडलाइन”, “ब्रेकिंग न्यूज़” या किसी “स्टिंग स्टोरी” में स्थान पाती हैं. ऐसा क्यों होता है?