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रविवार, 20 अक्टूबर 2013 21:01
Serious Charges and RTI Against UP Cadre IAS Sadakant...
सूचना बेचने का अभियुक्त यूपी का प्रमुख सचिव सूचना !
(जनहित में प्रकाशित)
क्या आप यह सोच सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ सीबीआई ने देश से दगाबाजी कर निजी उपक्रमों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर निजी हित साधने के गंभीर आरोप लगाये हों , जिसके खिलाफ सीबीआई जांच के लिए भारत सरकार ने अनुमति दी हो और सीबीआई की यह जांच वर्ष 2011 से अब तक प्रचलित हो वह व्यक्ति न केबल स्वतंत्र घूम रहा हो बल्कि प्रदेश सरकार में तीन- तीन विभागों के प्रमुख सचिव का पद भी धारित कर नीली बत्ती की सुविधाओं का उपभोग रहा हो ? अगर आप उत्तर प्रदेश में हैं तो आप ऐसा बिलकुल सोच सकते हैं l ऐसा ही एक चौंकाने बाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है l
गौरतलब है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी यूपी कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत पर गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री के रूप में कार्य करते हुए निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थे l आरोप था कि सदा कांत निहित स्वार्थसिद्धि हेतु नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के एक प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनी को गोपनीय जानकारियाँ मुहैया करा रहे थे l
गृह मंत्रालय ने इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को मंजूरी देते हुए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया था ।
सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे और केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई द्वारा सदाकांत के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये
जाने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सदाकांत को वापस उनके कैडर में भेज दिया गया था ।
लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बीते सितम्बर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार एवं गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी और पत्राचार की कॉपी माँगी थी l
गृह विभाग ने सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी पत्र दिनांक 20-05-11 की छायाप्रति उर्वशी को उपलब्ध करा दी है l गृह मंत्रालय की निदेशक एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने अन्य चार बिन्दुओं पर सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी इत्यादि देने के सम्बन्ध में अधिनियम की धारा 8(1)(h) के
सन्दर्भ से उर्वशी को सूचित किया है कि ये सूचना देने से सदाकांत के विरुद्ध चल रही जांच की प्रक्रिया वाधित हो सकती है और सूचना देने से मना कर दिया है l आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(h) के अंतर्गत ऐसी सूचना देने से छूट है जिसके दिए जाने से अपराधियों के अन्वेषण,पकडे जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी l
उर्वशी कहती हैं कि गृह विभाग के पत्र से स्पस्ट है कि भारत सरकार का गृह विभाग आज भी यह मान रहा है कि उनके द्वारा चाही गयी सूचना दिए जाने से सदाकांत के विरुद्ध चल रहे अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी यानी भारत सरकार के अनुसार सदाकांत आज भी CBI द्वारा दायर केस में अभियुक्त हैं l
उर्वशी ने अपनी इस आरटीआई के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सदाकांत को तत्काल निलंबित करने का आग्रह किया है l सूबे के मुखिया अखिलेश और अन्य को भेजे अपने पत्र में उर्वशी ने लिखा है कि यह विडंवना ही है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियो पर इस प्रकार की विशेष कृपा दृष्टि बनाये हुए है कि भारत सरकार का अभियुक्त IAS उत्तर प्रदेश सरकार में तीन-तीन विभागों का प्रमुख बना बैठा है l अपने पत्र में उर्वशी ने भारत सरकार में रहते हुए निजी कंपनियों से सांठ-गाँठ कर भ्रष्टाचार के सीबीआई के आरोपी को उत्तर प्रदेश में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग देने और भारत सरकार की गोपनीय सूचना दिए जाने बाले सदाकांत को सूचना विभाग का प्रमुख सचिव बनाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मिड डे मील की गिरती गुणवत्ता का ठीकरा भी बाल विकास एवं पुष्टाहार के प्रमुख सचिव सदाकांत के सर फोड़ा है....
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नोट :- समस्त जानकारियाँ एवं तथ्य उर्वशी शर्मा के ई-मेल से प्राप्त हुई हैं, जनहित में इसे मेरे ब्लॉग पर स्थान दिया गया है...
(जनहित में प्रकाशित)
क्या आप यह सोच सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ सीबीआई ने देश से दगाबाजी कर निजी उपक्रमों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर निजी हित साधने के गंभीर आरोप लगाये हों , जिसके खिलाफ सीबीआई जांच के लिए भारत सरकार ने अनुमति दी हो और सीबीआई की यह जांच वर्ष 2011 से अब तक प्रचलित हो वह व्यक्ति न केबल स्वतंत्र घूम रहा हो बल्कि प्रदेश सरकार में तीन- तीन विभागों के प्रमुख सचिव का पद भी धारित कर नीली बत्ती की सुविधाओं का उपभोग रहा हो ? अगर आप उत्तर प्रदेश में हैं तो आप ऐसा बिलकुल सोच सकते हैं l ऐसा ही एक चौंकाने बाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है l
गौरतलब है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी यूपी कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत पर गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री के रूप में कार्य करते हुए निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थे l आरोप था कि सदा कांत निहित स्वार्थसिद्धि हेतु नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के एक प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनी को गोपनीय जानकारियाँ मुहैया करा रहे थे l
गृह मंत्रालय ने इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को मंजूरी देते हुए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया था ।
सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे और केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई द्वारा सदाकांत के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये
जाने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सदाकांत को वापस उनके कैडर में भेज दिया गया था ।
लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बीते सितम्बर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार एवं गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी और पत्राचार की कॉपी माँगी थी l
गृह विभाग ने सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी पत्र दिनांक 20-05-11 की छायाप्रति उर्वशी को उपलब्ध करा दी है l गृह मंत्रालय की निदेशक एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने अन्य चार बिन्दुओं पर सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी इत्यादि देने के सम्बन्ध में अधिनियम की धारा 8(1)(h) के
सन्दर्भ से उर्वशी को सूचित किया है कि ये सूचना देने से सदाकांत के विरुद्ध चल रही जांच की प्रक्रिया वाधित हो सकती है और सूचना देने से मना कर दिया है l आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(h) के अंतर्गत ऐसी सूचना देने से छूट है जिसके दिए जाने से अपराधियों के अन्वेषण,पकडे जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी l
उर्वशी कहती हैं कि गृह विभाग के पत्र से स्पस्ट है कि भारत सरकार का गृह विभाग आज भी यह मान रहा है कि उनके द्वारा चाही गयी सूचना दिए जाने से सदाकांत के विरुद्ध चल रहे अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी यानी भारत सरकार के अनुसार सदाकांत आज भी CBI द्वारा दायर केस में अभियुक्त हैं l
उर्वशी ने अपनी इस आरटीआई के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सदाकांत को तत्काल निलंबित करने का आग्रह किया है l सूबे के मुखिया अखिलेश और अन्य को भेजे अपने पत्र में उर्वशी ने लिखा है कि यह विडंवना ही है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियो पर इस प्रकार की विशेष कृपा दृष्टि बनाये हुए है कि भारत सरकार का अभियुक्त IAS उत्तर प्रदेश सरकार में तीन-तीन विभागों का प्रमुख बना बैठा है l अपने पत्र में उर्वशी ने भारत सरकार में रहते हुए निजी कंपनियों से सांठ-गाँठ कर भ्रष्टाचार के सीबीआई के आरोपी को उत्तर प्रदेश में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग देने और भारत सरकार की गोपनीय सूचना दिए जाने बाले सदाकांत को सूचना विभाग का प्रमुख सचिव बनाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मिड डे मील की गिरती गुणवत्ता का ठीकरा भी बाल विकास एवं पुष्टाहार के प्रमुख सचिव सदाकांत के सर फोड़ा है....
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नोट :- समस्त जानकारियाँ एवं तथ्य उर्वशी शर्मा के ई-मेल से प्राप्त हुई हैं, जनहित में इसे मेरे ब्लॉग पर स्थान दिया गया है...
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ब्लॉग
रविवार, 20 अक्टूबर 2013 20:21
Honour from Pravakta Portal...
प्रवक्ता पोर्टल की ओर से सम्मान...
प्रवक्ता ने मुझ जैसे "आम आदमी" (बिना टोपी वाले) को लेखक के रूप में सम्मानित किया है यह खुशी की बात है. न तो मैंने कभी पत्रकारिता का कोई कोर्स किया, न किसी अखबार या चैनल में काम किया, न ही मैं पत्रकारिता की परम्परागत भाषा को लिखने में सिद्धहस्त हूँ और न ही मैं दिमाग से लिखता हूँ...
इसके बावजूद सिर्फ "मन" की बात को बेतरतीब और औघड़ पद्धति से लिखने वाले मेरे जैसे व्यक्ति को यदि श्री नरेश भारतीय, श्री राहुल देव, श्री उपासनी जैसे व्यक्तियों के साथ खड़े होने का मौका मिला तो निश्चित ही मैं इसके लिए "न्यू मीडिया" को धन्यवाद का पात्र मानता हूँ... यदि सोशल मीडिया न होता, या मैं इसमें न आया होता, तो संभवतः "संपादकों" की हिटलरशाही तथा राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रति "वैचारिक छुआछूत" एवं "गैंगबाजी" का शिकार हो गया होता...
"प्रवक्ता" पोर्टल की ओर से सम्मान मिला... सभी का आभार व्यक्त करता हूँ.
===============
एक बार पुनः भाई संजीव सिन्हा, भारत भूषण जी का आभार, तथा मेरा लिखा हुआ पसंद करने वालों का दिल से धन्यवाद... दिल्ली के इस "अति-संक्षिप्त प्रवास" के दौरान भेंट हुए सभी आत्मीय मित्रों का भी धन्यवाद.
प्रवक्ता सम्मान ग्रहण करने इंदौर-चंडीगढ़ Holiday स्पेशल ट्रेन से दिल्ली गया था. जाते समय तीन घंटे लेट (सिर्फ दिल्ली तक) और आते समय चार घंटे लेट.. इस प्रकार प्लेटफार्म पर बिताए हुए समय और ट्रेन के सफ़र दोनों को मिलाकर कुल ३२ घंटे भारतीय रेलवे के साथ, और सिर्फ आठ घंटे दिल्ली में बिताए...
भारतीय रेलवे की मेहरबानी से इस लम्बी दूरी की ट्रेन में न तो पेंट्री कार थी और न ही साफ़-सफाई की व्यवस्था. साथ ही यह अलिखित नियम "बोनस" में था कि जो ट्रेन लेट चल रही हो उसे और लेट करते हुए पीछे से आने वाली ट्रेनों को पासिंग व क्रासिंग दिया जाए... इसके अतिरिक्त "दीपावली बोनस" के तौर पर सुविधा यह थी कि आते-जाते दोनों समय B-4 नंबर का एसी कोच रिजर्वेशन होने तथा चार्ट में प्रदर्शित किए जाने के बावजूद शुरू से लगाया ही नहीं गया, ताकि इस कोच के यात्री टीसी के सामने गिडगिडाते रहें.
अगली बार किसी भी हालीडे स्पेशल ट्रेन में यात्रा करने से पहले तीन बार सोच लेना...
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चित्र में :- दिल्ली से वापसी के समय रात डेढ़-दो बजे तक भाई Saurabh Chatterjee साथ बने रहे, उम्दा डिनर भी करवाया. मैंने भी भारतीय रेल की इस "कृपा"(?) का सदुपयोग पराग टोपे लिखित पुस्तक "The Operation Red Lotus" के तीन-चार अध्याय पढने में कर लिया...
प्रवक्ता ने मुझ जैसे "आम आदमी" (बिना टोपी वाले) को लेखक के रूप में सम्मानित किया है यह खुशी की बात है. न तो मैंने कभी पत्रकारिता का कोई कोर्स किया, न किसी अखबार या चैनल में काम किया, न ही मैं पत्रकारिता की परम्परागत भाषा को लिखने में सिद्धहस्त हूँ और न ही मैं दिमाग से लिखता हूँ...
इसके बावजूद सिर्फ "मन" की बात को बेतरतीब और औघड़ पद्धति से लिखने वाले मेरे जैसे व्यक्ति को यदि श्री नरेश भारतीय, श्री राहुल देव, श्री उपासनी जैसे व्यक्तियों के साथ खड़े होने का मौका मिला तो निश्चित ही मैं इसके लिए "न्यू मीडिया" को धन्यवाद का पात्र मानता हूँ... यदि सोशल मीडिया न होता, या मैं इसमें न आया होता, तो संभवतः "संपादकों" की हिटलरशाही तथा राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रति "वैचारिक छुआछूत" एवं "गैंगबाजी" का शिकार हो गया होता...
"प्रवक्ता" पोर्टल की ओर से सम्मान मिला... सभी का आभार व्यक्त करता हूँ.
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एक बार पुनः भाई संजीव सिन्हा, भारत भूषण जी का आभार, तथा मेरा लिखा हुआ पसंद करने वालों का दिल से धन्यवाद... दिल्ली के इस "अति-संक्षिप्त प्रवास" के दौरान भेंट हुए सभी आत्मीय मित्रों का भी धन्यवाद.
प्रवक्ता सम्मान ग्रहण करने इंदौर-चंडीगढ़ Holiday स्पेशल ट्रेन से दिल्ली गया था. जाते समय तीन घंटे लेट (सिर्फ दिल्ली तक) और आते समय चार घंटे लेट.. इस प्रकार प्लेटफार्म पर बिताए हुए समय और ट्रेन के सफ़र दोनों को मिलाकर कुल ३२ घंटे भारतीय रेलवे के साथ, और सिर्फ आठ घंटे दिल्ली में बिताए...
भारतीय रेलवे की मेहरबानी से इस लम्बी दूरी की ट्रेन में न तो पेंट्री कार थी और न ही साफ़-सफाई की व्यवस्था. साथ ही यह अलिखित नियम "बोनस" में था कि जो ट्रेन लेट चल रही हो उसे और लेट करते हुए पीछे से आने वाली ट्रेनों को पासिंग व क्रासिंग दिया जाए... इसके अतिरिक्त "दीपावली बोनस" के तौर पर सुविधा यह थी कि आते-जाते दोनों समय B-4 नंबर का एसी कोच रिजर्वेशन होने तथा चार्ट में प्रदर्शित किए जाने के बावजूद शुरू से लगाया ही नहीं गया, ताकि इस कोच के यात्री टीसी के सामने गिडगिडाते रहें.
अगली बार किसी भी हालीडे स्पेशल ट्रेन में यात्रा करने से पहले तीन बार सोच लेना...
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चित्र में :- दिल्ली से वापसी के समय रात डेढ़-दो बजे तक भाई Saurabh Chatterjee साथ बने रहे, उम्दा डिनर भी करवाया. मैंने भी भारतीय रेल की इस "कृपा"(?) का सदुपयोग पराग टोपे लिखित पुस्तक "The Operation Red Lotus" के तीन-चार अध्याय पढने में कर लिया...
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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013 16:25
After Tunda and Bhatkal, Its Dawood Ibrahim Now??
अब दाऊद इब्राहीम को "जंवाई" बनाने की तैयारी...?
अब्दुल करीम टुंडा और रियाज़ भटकल के बाद अब दाऊद इब्राहीम को "जमाई" बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. सूत्रों के अनुसार दाऊद के साथ सरकार की बातचीत लगभग अंतिम चरण में है. मामला उसके धंधे(???) संबंधी कुछ शर्तों पर अटका हुआ है.
उल्लेखनीय है कि टुंडा और भटकल की गिरफ्तारी भी "दिखाई" गई थी. यदि नेपाली अखबारों की बात सच मानें तो इन दोनों को नेपाल में गिरफ्तार करने के बाद कुछ गुप्त शर्तों के तहत भारत की एजेंसियों को सौंपा गया है. एक तरफ दाऊद भी अब पाकिस्तान की सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है और दूसरी तरफ आईएसआई भी उसके धंधे में से मोटा माल हथियाने के लिए दबाव बनाने लगी है. इसलिए अब दाऊद "भारत में सुरक्षित" रहना चाहता है.
टुंडा के दिल का आपरेशन करवा दिया है... लंगड़े अब्दुल मदनी का भी उच्च स्तरीय आयुर्वेदिक इलाज करवा दिया है... कसाब और अफज़ल की भी भरपूर खातिरदारी की ही थी, यानी भारत में गांधीवाद और मानवाधिकार(??) का धंधा चमकदार और असरदार है... क्या कहा साध्वी प्रज्ञा का कैंसर??? अरे छोडो भी, हिन्दुओं की औकात ही क्या है?
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वैसे भी दाऊद के अधिकाँश खैरख्वाह तो भारत में ही हैं... चाहे नेता हों या उद्योगपति. इसलिए यदि अगले माह दाऊद की "गिरफ्तारी"(?? हा हा हा हा) हो जाए तो चौंकिएगा नहीं... साथ ही "मीडियाई दल्लों" को भी आसाराम की जगह दाऊद मिल जाएगा दो सप्ताह तक चबाने के लिए...
आपके लिए शायद यह नई खबर हो सकती है, अलबत्ता गृहमंत्री शिंदे और शरद पवार के लिए यह "बहूऊऊऊत पुरानी" खबर है...
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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013 16:15
Priyanka Gandhi Vs Narendra Modi...???
"पप्पू के स्थान पर बबली"??
इस बात का अनुमान तो बहुत पहले ही लग चुका था कि "भोंदू" की लगातार होती दुर्गति और उसकी अति-सीमित बुद्धि की वजह से "बियांका (Bianca) वाड्रा"को कांग्रेस मैदान में उतारेगी ही... आज यह खबर लीक होने के बाद कांग्रेसी लीपा-पोती करते नज़र आए...
हालांकि अब सभी जान चुके हैं कि "पप्पू", नरेंद्र मोदी से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है... इसलिए वही वर्षों पुराना कांग्रेसी "नाटक" (अर्थात सूती साड़ियाँ, पूरी बांहों का ब्लाऊज़, आँखों में ग्लिसरीन और महिला होने के नाम पर सहानुभूति की भीख मांगने की गुहार) खेला जाएगा...
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दिक्कत सिर्फ यही है कि "बियांका" के पति, अर्थात अपने परिवार को छोड़कर घरजमाई बना हुआ, "जमीन" से जुड़ा लालची व्यक्ति रॉबर्ट वाड्रा का काला इतिहास भी उसके साथ है...
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