भाषाई विवादों को पीछे छोड़ते और “राज ठाकरेवाद” को सबक देते दो युवा कलाकार… ... Zee Marathi Saregamapa, Rahul Saxena, Abhilasha Chellam, Urmila Dhangar

Written by सोमवार, 01 फरवरी 2010 13:35
क्या आप राहुल सक्सेना को जानते हैं? जानते तो होंगे लेकिन अब याद करने के लिये दिमाग पर थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ेगा, चलिये मैं ही याद दिला देता हूं… भारत के पहले सबसे अधिक लोकप्रिय रियलिटी शो इंडियन आइडल (प्रथम), जिसमें अमित साना को हराकर, धारावी की झोपड़पट्टी में रहने वाले प्रतिभाशाली गायक अभिजीत सावन्त विजेता बने थे, उसी प्रतियोगिता में नौंवे क्रमांक पर रहने वाले एक प्रतियोगी हैं राहुल सक्सेना। आप कहेंगे इसमें कौन सी बड़ी बात है, ऐसे कई कलाकार, कई-कई शो में निचले क्रमांकों पर रहकर गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं, लेकिन राहुल सक्सेना उनमें से नहीं हैं।
चार साल पहले भी जिस वक्त इंडियन आईडल से वह बाहर हुए थे, उस समय भी फ़राह खान ने भीगी आँखों से कहा था कि SMS के जरिये वोटिंग अथवा अन्य तकनीकी वजहों से भले ही राहुल बाहर जा रहे हैं, लेकिन मुझे उनकी प्रतिभा पर पूरा यकीन है और मैं इस लड़के को अपनी फ़िल्म में गाने का मौका दूंगी (यह वादा उन्होंने फ़िल्म ओम शांति ओम में सक्सेना को मौका देकर निभाया भी)। राहुल सक्सेना की समूची शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई इंडियन आइडल से पहले जून 2004 में ही वे मुम्बई शिफ़्ट हुए…। चलिये अब भूमिका और प्रस्तावना बहुत हुई, मुद्दे की बात पर आते हैं…

जी मराठी का एक लोकप्रिय कार्यक्रम है हिन्दी की तर्ज़ पर चलने वाला “सारेगमप…”, जिसे पल्लवी जोशी संचालित करती हैं। वर्तमान में जारी इस मराठी सारेगमप के फ़ाइनलिस्ट तीन कलाकारों में से दो कलाकार “गैर-मराठी” हैं… जी हाँ, चौंकिये मत… राहुल सक्सेना (शुद्ध हिन्दी भाषी) और अभिलाषा चेल्लम (एक और प्रतिभाशाली तमिलभाषी लड़की) “मराठी” के इस कार्यक्रम में सारे महाराष्ट्र और मराठियों का दिल जीत रहे हैं और भरपूर SMS प्राप्त कर रहे हैं।

है न मजेदार और थोड़ा आश्चर्यजनक भी… कि जब देश भाषाई और क्षेत्रीय विवादों से जूझ रहा हो, ऐसे वक्त में दो कलाकार जिनकी मातृभाषा तो मराठी तो है ही नहीं, बल्कि वे मराठी बोलना भी नहीं जानते… ऐसे गायक-गायिका, मराठी के एक संगीत कार्यक्रम में फ़ाइनल में पहुँचे हैं। खास बात इसलिये भी है, कि संगीत, नाटक, अभिनय आदि की समालोचना मराठी लोग बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि से करते हैं और सच्चे अर्थों में उच्च दर्जे का कलाकार ही यहाँ टिक पाता है। हालांकि मराठियों के लिये यह बात कतई आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि महाराष्ट्र ने हमेशा भाषा, जाति, सम्प्रदाय से ऊपर उठकर “सच्चे कलाकार” और उसकी कला का सम्मान किया है उन्हें प्यार दिया है। ऐसे कई गैर-मराठी कलाकार हैं जिन्होंने मराठी फ़िल्मों-नाटकों में अपना उत्कृष्ट योगदान दिया है, वहीं दूसरी ओर लता मंगेशकर हों या आशा भोंसले दोनों ने हिन्दी में सफ़लतापूर्वक अपना साम्राज्य स्थापित किया है।

बहरहाल, बात हो रही थी, इन दो युवा कलाकारों की… राहुल सक्सेना से आपका परिचय हो गया है, अब जान लीजिये दूसरी चुलबुली, नटखट, दाक्षिणत्य सौन्दर्य से भरपूर अभिलाषा चेल्लम के बारे में…

पुणे में निवासरत तमिलभाषी चेल्लम अय्यर की पुत्री अभिलाषा ने 4 वर्ष की आयु से ही कर्नाटक संगीत की शिक्षा ली, और पुणे में आयोजित होने वाली विभिन्न गायन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। जब वह 8 वर्ष की थी उस समय सब टीवी पर आने वाले कार्यक्रम “आओ झूमें गायें” में फ़ाइनल तक पहुँची थी, लेकिन उम्र कम होने की वजह से वह दूसरे क्रमांक पर रही। इसलिये जब स्टार टीवी के “अमूल वॉइस ऑफ़ इंडिया” में उसे गाने का मौका मिला तब भी वह अन्तिम 12 प्रतिभागियों में स्थान बनाने में सफ़ल रही। इससे पहले भी कई प्रतियोगिताओं में अभिलाषा ने मन्ना डे, ज़ाकिर हुसैन, दुर्गा जसराज, मोहम्मद अज़ीज़ जैसे परीक्षकों के सामने बेधड़क गा चुकी है, और इस बार भी जी-मराठी के इस सारेगामापा में सुरेश वाडकर, जतिन-ललित और शंकर महादेवन समेत मराठी-हिन्दी के अनेक दिग्गजों ने इसकी आवाज़, संगीत की समझ और गाने के अन्दाज़ की दिल खोलकर तारीफ़ की है। अभिलाषा का सपना है कि उसे एक बार काजोल के लिये प्लेबैक करने का मौका मिले…

जब आप इन दोनों गायकों के उच्चारण सुनेंगे तो यह कतई महसूस नहीं होगा कि इन दोनों को मराठी नहीं आती, सिर्फ़ समझ सकते हैं। अभिलाषा तो पुणे की निवासी होने की वजह से टूटी-फ़ूटी मराठी बोल सकती हैं, लेकिन राहुल सक्सेना तो ठेठ दिल्ली के हैं और उन्हें मराठी बिलकुल नहीं आती। लेकिन “संगीत” को किसी भी भाषा, किसी राजनीति, किसी क्षेत्रवाद, किसी ठाकरेवाद में बाँधा नहीं जा सकता, और इस बात की पूरी सम्भावना है कि 31 जनवरी को होने वाले फ़ाइनल मुकाबले में अभिलाषा चेल्लम ही महाराष्ट्र की महागायिका बनकर उभरें। अभिलाषा की स्वर अदायगी, मराठी उच्चारण (गाने के दौरान), ताल की समझ बेहतरीन है और राहुल सक्सेना से उसकी काँटे की टक्कर होगी, तीसरी फ़ाइनलिस्ट मराठी है जिसका नाम है उर्मिला धनगर, लेकिन कोई भी उसे जीत का दावेदार नहीं मान रहा।


चित्र में तीनों फ़ाइनलिस्ट प्रख्यात गायिका अलका याग्निक के साथ 

अपने काम से देर शाम घर पहुँचता हूँ तब दिन भर ब्लॉगिंग के नशे के बाद संगीत का नशा ही लेता हूं… जो सारे नशे पर भारी है… और जी मराठी के बेहतरीन संगीत और हास्य कार्यक्रमों की वजह से बिग बॉस के घटियापन, राखी-राहुल के फ़ूहड़ स्वयंवरों, पुनर्जन्म की नौटंकियों आदि से बचा रहता हूँ… हाँ न्यूज़ चैनलों को अवश्य 5-5 मिनट देखना पड़ता है कि किस चैनल पर कौन सा एंकर भाजपा-संघ-हिन्दुत्व को गरिया रहा है, और कौन सा एंकर राहुल बाबा के चरण स्पर्श कर रहा है…

इस कार्यक्रम के बारे में आप लोगों को देर से बताने के लिये माफ़ी चाहता हूँ… लेकिन इन दोनों कलाकारों के एक-दो यू-ट्यूब वीडियो आपके लिये सादर प्रस्तुत करता हूं… उधर एक और मराठी माणुस मोहन भागवत जी ने भी अपना संयम तोड़ते हुए ठाकरेद्वय को कल “मराठी मुम्बई” के बारे में खरी-खरी सुना दी है भले इससे भाजपा-सेना गठबंधन खतरे में आ जाये, लेकिन राजनीति की बात अगली पोस्ट में करेंगे, फ़िलहाल आप इन दोनों युवा कलाकारों का गाना सुनिये… जिन्हें मराठी जजों, मराठी दर्शकों और मराठियों के अधिकाधिक SMS ने फ़ाइनल में पहुँचाया है…। मेरी भी अभिलाषा है कि “अभिलाषा” ही जीते…

मी राधिका, मी प्रेमिका : http://www.youtube.com/watch?v=q0eHkNTRXiA



नटरंग फ़िल्म की एक मुश्किल लावणी… http://www.youtube.com/watch?v=PsIS_CREvAo



खेळ मांडला… http://www.youtube.com/watch?v=Ww9A0a8XKvw



करुया उदो-उदो अम्बाबाईचा… http://www.youtube.com/watch?v=yXY2jy02hJM



चलते-चलते : पूरी पोस्ट लिख चुकने के बाद, कल रात की खबर यह है कि इन दोनों प्रतियोगियों को पीछे छोड़कर उर्मिला धनगर ने अधिक SMS प्राप्त करने की वजह से यह मुकाबला जीत लिया है। आज सुबह से इस बात की सम्भावना जताई जा रही है कि जी-मराठी, आईडिया (प्रायोजक) और कार्यक्रम संचालकों पर कोई "बाहरी दबाव" था जिसकी वजह से काँटे की टक्कर वाले इस मुकाबले में अभिलाषा चेल्लम की जीत नहीं हो सकी। हालांकि मंच से इन दोनों प्रतियोगियों ने किसी प्रकार की नाखुशी व्यक्त नहीं की, लेकिन एक जज "अवधूत गुप्ते" (जिन्होंने ठाकरे परिवार पर आधारित हाल ही में एक फ़िल्म "झेण्डा" का निर्माण किया है) ने इशारों-इशारों में ही बहुत कुछ कह दिया।

वहीं दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र के कुछ संगीतप्रेमियों को इस बात पर ऐतराज़ हैं कि राहुल और अभिलाषा के कई मराठी उच्चारण दोषों को नज़र-अंदाज़ करके कई प्रतिभाशाली प्रतियोगियों को कार्यक्रम की "इमेज" बनाने के लिये जानबूझकर बाहर कर दिया गया है। अब ये तो पता नहीं कि अन्तिम समय पर क्या हुआ या ऐसे कार्यक्रमों की अन्दरूनी राजनीति क्या और कैसी रही, लेकिन मेरे कुछ वर्षों के "कानसेन" अनुभव के आधार पर यदि मुझे इन तीनों में से किसी को चुनने का मौका मिलता तो मैं निश्चित ही अभिलाषा चेल्लम को अपना वोट देता…। पहले मैं सिर्फ़ राहुल और अभिलाषा के वीडियो ही लगाने वाला था, लेकिन अब उर्मिला धनगर के दो सुपरहिट और खूब पसन्द किये गये गाने भी लगा रहा हूं, उर्मिला धनगर की आवाज़ में भी एक विशिष्ट ग्रामीण एवं लोकगायक का टच है जो उसे बाकियों से अलग करता है। पसन्द अपनी-अपनी, खयाल अपना-अपना, अब आप लोग खुद ही सुनें और अपना मत बतायें…।

बहरहाल, दो गैर-मराठी युवा कलाकारों ने काफ़ी समय से मुम्बई में चल रहे "ठाकरेवाद" की हवा निकालने की सफ़ल कोशिश की है। जय भारत, जय हिन्द तथा "जय हो महाराष्ट्र की संगीत परम्परा"

कळिदार कपुरी पान : http://www.youtube.com/watch?v=7IcZ03_G1kQ



पिकलं ज़ाम्भुळ तोड़ू नका - http://www.youtube.com/watch?v=twKyRx5oRmk




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Super User

 

I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

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