थैंक्यू मिस्टर नथूराम गोडसे...
नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे का बयान लोग जानें, इस पर प्रतिबंध क्यों लगा?
खिलाफत आंदोलन : गाँधी की जिद, और हिंदुओं का संहार (भाग-२)
पिछले भाग में आपने पढ़ा (यहाँ क्लिक करके पिछले भाग पढ़ा जा सकता है) कि किस तरह भारत में इस्लामिक पार्टियों, संस्थाओं और जिन्ना ने गाँधी-नेहरू को बेवकूफ बनाकर पाकिस्तान बनाने की नींव 1909 में ही रखनी शुरू कर दी थी.
1 फरवरी 1948 को हुआ ब्राह्मणों का सबसे बड़ा कत्लेआम…
वह 1 फरवरी 1948 का दिन था. गांधी का वध हुए दो ही दिन हुए थे. हवाओं में कुछ बेचैनी और माहौल में कुछ उदासी थी. सुबह स्कूल जाते समय कुछ ब्राह्मण बच्चों ने गलियों के कोने में खड़े कुछ लोगों कानाफूसियाँ सुनी थीं