RSS Path Sanchalan, Rashtriya Swayamsevak Sangh and Media

Written by शुक्रवार, 07 अक्टूबर 2011 12:37
क्या कभी आपने संघ के पथ-संचलन का राष्ट्रीय मीडिया कवरेज देखा है? (एक माइक्रो-पोस्ट)

संघ की परम्परा में "भगवा ध्वज" ही सर्वोच्च है, कोई व्यक्ति, कोई पद अथवा कोई अन्य संस्था महत्वपूर्ण नहीं है। प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी यह बात रेखांकित हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा उज्जैन में विजयादशमी उत्सव के पथसंचलन समारोह में भाजपा के पार्षद, निगम अध्यक्ष, वर्तमान एवं पूर्व विधायक, सांसद एवं राज्य मंत्री सभी के सभी सामान्य स्वयंसेवकों की तरह पूर्ण गणवेश में कदमताल करते नज़र आए। जिन गलियों से यह संचलन गुज़रा, निवासियों ने अपने घरों एवं बालकनियों से इस पर पुष्प-वर्षा की।


अन्त में सभा के रूप में परिवर्तित, स्वयंसेवकों के विशाल समूह को सम्बोधित किया संघ के युवा एवं ऊर्जावान प्रवक्ता राम माधव जी ने, इस समय सभी "सो कॉल्ड" वीआईपी भी सामान्य स्वयंसेवकों की तरह ज़मीन पर ही बैठे, उनके लिए मंच पर कोई विशेष जगह नहीं बनाई गई थी…। मुख्य संचलन हेतु विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले स्वयंसेवकों के उप-संचलनों को जो समय दिया गया था, वे पूर्ण समयबद्धता के साथ ठीक उसी समय पर मुख्य संचलन में जा मिले। कांग्रेस (यानी एक परिवार) के "चरणचुम्बन" एवं "तेल-मालिश" संस्कृति को करीब से देखने वाले, संघ के आलोचकों के लिए, यह "संस्कृति" नई है, परन्तु एक आम स्वयंसेवक के लिए नई नहीं है।


"परिवारिक चमचागिरी" से ग्रस्त, यही दुरावस्था हमारे मुख्य मीडिया की भी है…। ज़रा दिमाग पर ज़ोर लगाकर बताएं कि क्या आपने कभी किसी मुख्य चैनल पर वर्षों से विशाल स्तर पर निकलने वाले संघ के पथसंचलन का अच्छा कवरेज तो दूर, कोई खबर भी सुनी हो? कभी नहीं…। हर साल की तरह प्रत्येक चैनल रावण के पुतला दहन की बासी खबरें दिखाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। कल तो हद कर दी गई… भाण्ड-भड़ैती चैनलों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में राहुल गाँधी ने चाट खाई, उसमें मिर्ची कितनी थी, उसमें चटनी कितनी थी… तथा लालू यादव ने कहाँ तंत्र क्रिया की, कौन सी क्रिया की, क्या इस तंत्र क्रिया से लालू को कांग्रेस के नजदीक जाने (यानी चमचागिरी) में कोई फ़ायदा होगा या नहीं?, जैसी मूर्खतापूर्ण और बकवास खबरें "विजयादशमी" के अवसर पर दिखाई गईं, परन्तु हजारों शहरों में निकलने वाले लाखों स्वयंसेवकों के पथ-संचलन का एक भी कवरेज नहीं…।

असल में मीडिया को यही काम दिया गया है कि किस प्रकार हिन्दू परम्पराओं, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू मन्दिरों, हिन्दू संतों की छवि मलिन की जाए, क्योंकि चर्च के पैसे पर पलने वाले मीडिया को डर है कि अनुशासित, पूर्ण गणवेशधारी, शस्त्रधारी स्वयंसेवकों के पथ संचलन को प्रमुखता से दिखाया तो "हिन्दू गौरव" जागृत हो सकता है।

ज़ाहिर है कि मीडिया की समस्या भी कांग्रेस और वामपंथ से मिलती-जुलती ही है… अर्थात "भगवा ध्वज" देखते ही "सेकुलर दस्त" लगना।
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Super User

 

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I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

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