मंगलोर विमान दुर्घटना की वजह से "फ़र्जी पासपोर्ट रैकेट" का प्रभाव पुनः दिखाई दिया… Manglore Plane Crash, Fake Passports

Written by सोमवार, 28 जून 2010 13:42
कुछ दिनों पहले मंगलोर में एक विमान दुर्घटना हुई थी जिसमें 158 यात्रियों की मौत हुई तथा इस पर काफ़ी हो-हल्ला मचाया गया था। प्रफ़ुल्ल पटेल की इस बात के लिये आलोचना हुई थी कि नई बनी हुई छोटी हवाई पट्टी पर बड़ा विमान उतारने की इजाजत कैसे दी गई? लेकिन न तो इस मामले में आगे कुछ हुआ, न ही किसी मंत्री-अफ़सर का इस्तीफ़ा हुआ। इस विमान दुर्घटना के कई पहलुओं में से एक महत्वपूर्ण पहलू को मीडिया ने पूरी तरह से ब्लैक आउट कर दिया, और वह यह कि मारे गये कम से कम 9 यात्री ऐसे थे, जिनके ज़ब्त सामान की जाँच के बाद उनके पासपोर्ट फ़र्जी पाये गये, इसलिये न तो उनकी सही पहचान हो सकी है, और न ही मुआवज़ा दिया जा सका।



इस बात का खुलासा इस समय हुआ, जब स्थानीय अखबारों ने दुर्घटना में सौभाग्य से जीवित बचे यात्री से पूछताछ की, संयोग से उसके पास भी फ़र्जी पासपोर्ट ही पाया गया। मृतकों में से कुछ यात्री केरल के मूल निवासी थे, लेकिन उनके पासपोर्ट पर तमिलनाडु के घर के पते पाये गये, इसी प्रकार उनके फ़ोटो भी मिलते नहीं थे। केरल के उत्तरी इलाके के कासरगौड़ (Kasargod) जिले के कलेक्टर और एसपी ने इस मामले में जाँच शुरु कर दी है, ताकि विमान दुर्घटना में मारे गये असली लोगों की पहचान की जा सके। अपनी शर्म छिपाने की कोशिश करते हुए एसपी प्रकाश पी. कहते हैं कि "फ़र्जी पासपोर्ट पर इतनी जल्दी नतीजों पर पहुँचना ठीक नहीं है, अभी जाँच चल रही है और हम हरेक दस्तावेज की गम्भीरता से जाँच करेंगे…"। (तो अभी तक क्या कर रहे थे?)

केरल के इस जिले की सीमाएं एक तरफ़ कर्नाटक से लगती हैं, जबकि इस जिले से कन्नूर (Kannur) और मलप्पुरम (Malappuram) जैसे इस्लामी उग्रवाद के गढ़ और सिमी के ठिकाने भी अधिक दूर नहीं हैं। कासरगौड़ जिले में किसी भी आम आदमी से पासपोर्ट लेने के बारे में पूछिये वह आपसे पूछेगा कि "क्या आपको कासरगौड़ दूतावास का पासपोर्ट चाहिये?" "कासरगौड़ एम्बेसी" नामक परिभाषा स्थानीय स्तर पर गढ़ी गई है, जो लोग पासपोर्ट में तकनीक के जरिये फ़ोटो बदलकर नकली पासपोर्ट पकड़ा देते हैं उनके इस "रैकेट" को कासरगौड़ एम्बेसी कहा जाता है, जिसके बारे में "पुलिस और प्रशासन के अलावा" सभी जानते हैं। यह गोरखधंधा 1980 से चल रहा है, लेकिन खाड़ी देशों में काम करने के लालच और गरीबी के चलते असली पासपोर्ट बनवाने में अक्षम लोग इनके जाल में फ़ँस जाते हैं।

ग्लोबल मलयाली फ़ाउण्डेशन (Global Malyali Foundation) के अध्यक्ष वर्गीज़ मूलन, जो कि सऊदी अरब में रहते हैं… कहते हैं कि "केरल में गरीबी और बेरोजगारी के कारण कई मजदूर इस रैकेट के चंगुल में आ ही जाते हैं, जो इनका फ़ायदा उठाकर इन्हें किसी पासपोर्ट में फ़ोटो बदलकर इन्हें खाड़ी भेज देते हैं, दलालों को यह पता होता है कि इनका खाड़ी स्थित मालिक इनके दस्तावेज इन्हे नहीं देगा। बल्कि कई मामलों में तो इनके फ़र्जी पासपोर्ट भी उनके मालिक गुमा देते हैं या जानबूझकर खराब कर देते हैं। इसके बाद ये वहाँ नारकीय परिस्थितियों में काम करते रहते हैं, और जब तंग आकर भारत वापस भागना होता है तब या तो विमान के टायलेट में छिपकर आते हैं, अथवा फ़िर से उसी दलाल को पकड़ते हैं जिसने उसे पासपोर्ट दिलवाया था। वह दलाल फ़िर से उनसे 25000 रुपये लेकर एक और फ़र्जी पासपोर्ट दे देता है। सवाल उठता है कि दलालों के पास यह पासपोर्ट कैसे आते हैं, तो निश्चित रूप से कासरगौड़ के पासपोर्ट कार्यालय में इनके कुछ गुर्गे मौजूद हैं, साथ ही ये लोग ऐसे गरीब हज यात्रियों पर भी निगाह रखते हैं जिन्हें जीवन में सिर्फ़ एक बार ही पासपोर्ट की आवश्यकता पड़ने वाली है। ऐसे लोगों के बेटे और रिश्तेदार इन दलालों को सस्ते में यह पासपोर्ट बेच देते हैं, जिसे दलाल, अफ़सरों और बाबुओं से मिलकर आगे अपने "अंजाम" तक पहुँचाते हैं।

क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि देश से बाहर जाने वाले हरेक व्यक्ति की पूरी जाँच की जाती है, लेकिन मंगलोर दुर्घटना के सभी कागज़ातों की जाँच करना अब सम्भव नहीं है, क्योंकि कुछ जल गये हैं और कुछ गायब हो चुके हैं। पुलिस अधिकारी दबी ज़बान में स्वीकार करते हैं कि भले ही पासपोर्ट बनाने वाले एजेण्ट स्थानीय हों, लेकिन यह सारा खेल "खाड़ी देशों से कुछ बड़े लोग" चला रहे हैं।

वैसे फ़र्जी पासपोर्ट का मामला भारत के लिये नई बात नहीं है, अबू सलेम और उसकी प्रेमिका का पासपोर्ट भी भोपाल से बनवाया गया था, जिसमें गलत जानकारी, गलत पता, गलत फ़ोटो, गलत पुलिस सत्यापन किया गया था, लेकिन भारत के कर्मचारी-अधिकारी और अपना काम किसी भी तरह करवाने के लिये बेताब रहने वाली आम जनता इतनी भ्रष्ट है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करने में भी उन्हें कोई शर्म नहीं आती

सरकार दिनोंदिन भारत से अन्तर्राष्ट्रीय हवाई उड़ानों और टर्मिनलों को बढ़ाती जा रही है, लेकिन उन हवाई टर्मिनलों पर सुरक्षा व्यवस्था और जाँच का काम रामभरोसे ही चलता है। केरल जैसे अतिसंवेदनशील राज्य, जहाँ सिमी की जड़ें मजबूत हैं तथा जहाँ से "ईसाई धर्मान्तरण के दिग्गज" पूरे भारत में फ़ैलते हैं, ऐसे राज्य में खाड़ी देशों से आने वाले यात्रियों के पास फ़र्जी पासपोर्ट मिलना इसी ओर इशारा करता है कि कोई भी जब चाहे तब इस देश में आ सकता है, जा सकता है, रह सकता है, बम विस्फ़ोट कर सकता है… कोई रोकने वाला नहीं। कोई भी चाहे तो नेपाल के रास्ते आ सकता है, चाहे तो बांग्लादेश के रास्ते, चाहे तो वाघा बॉर्डर से, चाहे तो कुपवाड़ा-अखनूर से, चाहे तो मन्नार की खाड़ी से, चाहे तो श्रीलंका के रास्ते से… और अब चाहे तो फ़र्जी पासपोर्ट से देश के किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरो, और भीड़ में खो जाओ। तात्पर्य कि कोई कहीं से भी आ सकता है, क्या भारत एक देश नहीं, धर्मशाला है? जहाँ बिना पैसा चुकाये, कोई भी, कैसी भी मौज करता रह सकता है? असल में, सरकार को इन बातों की कोई परवाह नहीं है, जबकि नेताओं-अफ़सरों-नागरिकों को "हराम के पैसों" की लत लग चुकी है, चाहे देश जाये भाड़ में। ऐसे में यदि आप सोचते हैं कि "भारत एक मजबूत और सुरक्षित राष्ट्र" है, तो आप निहायत मूर्ख हैं…

http://www.mangaloretoday.com/mt/index.php?action=mn&type=1012

http://www.youtube.com/watch?v=Yxbh3bwI7k0


Mangalore Airbus Accident, Mangalore Plane Crash, Kasargod Passport Scam, Fake Passports of Kasargod Kerala, Kasargod Embassy, Kerala workers and Gulf Countries, Security threats fake passport, Corruption in Passport Offices of India, Communal Violence in Kerala and Karnataka , मंगलोर विमान दुर्घटना, कासरगौड़ पासपोर्ट, कासरगौड़ फ़र्जी पासपोर्ट, खाड़ी देश और केरल के मजदूर, फ़र्जी पासपोर्ट और सुरक्षा मानक, केरल और कर्नाटक में साम्प्रदायिक हिंसा, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
Read 2203 times Last modified on शुक्रवार, 30 दिसम्बर 2016 14:16
Super User

 

I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

www.google.com