वामपंथी सेकुलरिज़्म का पाखण्ड और मीडिया का पक्षपाती रवैया फ़िर उजागर (सन्दर्भ : अब्दुल नासिर मदनी की गिरफ़्तारी)… Madni Arrest Issue, Communist Secularism and Media Bias
Written by Super User सोमवार, 23 अगस्त 2010 13:02
कुछ दिनों पहले देश की जनता ने मीडियाई जोकरों और सेकुलरों की जमात को गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह की गिरफ़्तारी के मामले में "रुदालियाँ" गाते सुना है। एक घोषित खूंखार अपराधी को मार गिराने के मामले में, अमित शाह की गिरफ़्तारी और उसे नरेन्द्र मोदी से जोड़ने के लिये मीडियाई कौए लगातार 4-5 दिनों तक चैनलों पर जमकर कांव-कांव मचाये रहे, अन्ततः अमित शाह की गिरफ़्तारी हुई और "सेकुलरिज़्म" ने चैन की साँस ली…
जो लोग लगातार देश के घटियातम समाचार चैनल देखते रहते हैं, उनसे एक मामूली सवाल है कि केरल में अब्दुल नासिर मदनी की गिरफ़्तारी से सम्बन्धित "वामपंथी सेकुलर नौटंकी" कितने लोगों ने, कितने चैनलों पर, कितने अखबारों में देखी-सुनी या पढ़ी है? कितनी बार पढ़ी है और इस महत्वपूर्ण "सेकुलर" खबर (बल्कि सेकुलर शर्म कहना ज्यादा उचित है) को कितने चैनलों या अखबारों ने अपनी हेडलाइन बनाया है? इस सवाल के जवाब में ही हमारे 6M (मार्क्स, मुल्ला, मिशनरी, मैकाले, माइनो और मार्केट) के हाथों बिके हुए मीडिया की हिन्दू-विरोधी फ़ितरत खुलकर सामने आ जायेगी। जहाँ एक तरफ़ अमित शाह की गिरफ़्तारी को मीडिया ने "राष्ट्रीय मुद्दा" बना दिया था और ऐसा माहौल बना दिया था कि यदि अमित शाह की गिरफ़्तारी नहीं हुई तो कोई साम्प्रदायिक सुनामी आयेगी और सभी सेकुलरों को बहा ले जायेगी, वहीं दूसरी तरफ़ केरल में बम विस्फ़ोट का एक आरोपी खुलेआम कानून-व्यवस्था को चुनौती देता रहा, केरल के वामपंथी गृहमंत्री ने उसे बचाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा डाला, आने वाले चुनावों मे हार से भयभीत वामपंथ ने मुस्लिमों को खुश करने के लिये केरल पुलिस का मनोबल तोड़ा… पूरे आठ दिन तक कर्नाटक पुलिस मदनी को गिरफ़्तार करने के लिये केरल में डेरा डाले रही तब कहीं जाकर उसे गिरफ़्तार कर सकी… लेकिन किसी हिन्दी न्यूज़ चैनल ने इस शर्मनाक घटना को अपनी तथाकथित "ब्रेकिंग न्यूज़" नहीं बनाया और ब्रेकिंग या मेकिंग तो छोड़िये, इस पूरे घटनाक्रम को ही ब्लैक-आउट कर दिया गया। यहाँ पर मुद्दा अमित शाह की बेगुनाही या अमित शाह से मदनी की तुलना करना नहीं है, क्योंकि अमित शाह और मदनी की कोई तुलना हो भी नहीं सकती… यहाँ पर मुद्दा है कि हिन्दुत्व विरोध के लिये मीडिया को कितने में और किसने खरीदा है? तथा वामपंथी स्टाइल का सेकुलरिज़्म मुस्लिम वोटों को खुश करने के लिये कितना नीचे गिरेगा?
मुझे विश्वास है कि अभी भी कई पाठकों को इस "सुपर-सेकुलर" घटना के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी… उनके लिये संक्षिप्त में निम्न बिन्दु जान लेना बेहद आवश्यक है ताकि वे भी जान सकें कि ढोंग से भरा वामपंथ, घातक सेकुलरिज़्म और बिकाऊ मीडिया मिलकर उन्हें किस खतरनाक स्थिति में ले जा रहे हैं…
1) कोयम्बटूर बम धमाके का मुख्य आरोपी अब्दुल नासिर मदनी फ़िलहाल केरल की PDP पार्टी का प्रमुख नेता है।
2) कर्नाटक हाईकोर्ट ने दाखिल सबूतों के आधार पर मदनी को बंगलौर बम विस्फ़ोटों के मामले में गैर-ज़मानती वारण्ट जारी कर दिया, जिसमें गिरफ़्तारी होना तय था।
3) मदनी ने इसके खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई हुई है, लेकिन कर्नाटक पुलिस को मदनी को गिरफ़्तार करके उससे पूछताछ करनी थी।
4) कर्नाटक पुलिस केरल सरकार को सूचित करके केरल पुलिस को साथ लेकर मदनी को गिरफ़्तार करने गई, लेकिन केरल की वामपंथी सरकार अपने वादे से मुकर गई और कर्नाटक सरकार के पुलिस वाले वहाँ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, क्योंकि केरल पुलिस ने मदनी को गिरफ़्तार करने में कोई रुचि नहीं दिखाई, न ही कर्नाटक पुलिस से कोई सहयोग किया (ज़ाहिर है कि वामपंथी सरकार के उच्च स्तरीय मंत्री का पुलिस पर दबाव था)।
5) इस बीच अब्दुल नासेर मदनी अनवारसेरी के एक अनाथालय में आराम से छिपा बैठा रहा, लेकिन केरल पुलिस की हिम्मत नहीं हुई कि वह अनाथाश्रम में घुसकर मदनी को गिरफ़्तार करे, क्योंकि मदनी आराम से अनाथाश्रम के अन्दर से ही प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके राज्य सरकार को सरेआम धमकी दे रहा था कि "यदि उसे हाथ लगाया गया, तो साम्प्रदायिक दंगे भड़कने का खतरा है…"। 2-3 दिन इसी ऊहापोह में गुज़र गये, पहले दिन जहाँ मदनी के सिर्फ़ 50 कार्यकर्ता अनाथाश्रम के बाहर थे और पुलिस वाले 200 थे, वक्त बीतने के साथ भीड़ बढ़ती गई और केरल पुलिस जिसके हाथ-पाँव पहले ही फ़ूले हुए थे, अब और घबरा गई। इस स्थिति का भरपूर राजनैतिक फ़ायदा लेने की वामपंथी सरकार की कोशिश उस समय बेनकाब हो गई जब कर्नाटक के गृह मंत्री और गिरफ़्तार करने आये पुलिस अधीक्षक ने केरल के DGP और IG से मिलकर मदनी को गिरफ़्तार करने में सहयोग देने की अपील की और उन्हें कोर्ट के आदेश के बारे में बताया।
6) इतना होने के बाद भी केरल पुलिस ने अनाथाश्रम के दरवाजे पर सिर्फ़ एक नोटिस लगाकर कि "अब्दुल नासिर मदनी को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देना चाहिये, क्योंकि केरल पुलिस के पास ऐसी सूचना है कि अनाथाश्रम के भीतर भारी मात्रा में हथियार भी जमा हैं…" अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। अब्दुल नासिर मदनी लगातार कहता रहा कि सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद ही वह आत्मसमर्पण करेगा (यानी जब वह चाहेगा, तब उसकी मर्जी से गिरफ़्तारी होगी…)। मदनी ने रविवार (15 अगस्त) को कहा कि वह बेगुनाह हैं और बम विस्फोट की घटना में उसकी कोई भूमिका नहीं है। मदनी ने कहा, 'मैं एक धार्मिक मुसलमान हूं और कुरान लेकर कहता हूं कि बम विस्फोट के मामले में सीधे या परोक्ष किसी भी तरह की भूमिका नहीं है। यदि कर्नाटक पुलिस चाहती है कि वह मुझे गिरफ्तार किए बगैर वापस नहीं जाएगी तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन इसके बाद हालात अस्थिर हो जाएंगे।' (ऐसी ही धमकी पूरे भारत को कश्मीर की तरफ़ से भी दी जाती है कि अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी दी तो ठीक नहीं होगा… और "तथाकथित महाशक्ति भारत" के नेता सिर्फ़ हें हें हें हें हें करते रहते हैं…)। खैर… केरल पुलिस (यानी सेकुलर सरकार द्वारा आदेशित पुलिस) ने भी सरेआम "गिड़गिड़ाते हुए" मदनी से कहा कि अदालत के आदेश को देखते हुए वह गिरफ़्तारी में "सहयोग"(?) प्रदान करे…।
7) अन्ततः केरल की वामपंथी सरकार ने दिल पर पत्थर रखकर आठ दिन की नौटंकी के बाद अब्दुल नासिर मदनी को कर्नाटक पुलिस के हवाले किया (वह भी उस दिन, जिस दिन मदनी ने चाहा…) और छाती पीट-पीटकर इस बात की पूरी व्यवस्था कर ली कि लोग समझें (यानी मुस्लिम वोटर समझें) कि अब्दुल नासिर मदनी एक बेगुनाह, बेकसूर, मासूम, संवेदनशील इंसान है, केरल पुलिस की मजबूरी(?) थी कि वह मदनी को कर्नाटक के हवाले करती… आदि-आदि।
चाहे पश्चिम बंगाल हो या केरल, वामपंथियों और सेकुलरों की ऐसी नग्न धर्मनिरपेक्षता (शर्मनिरपेक्षता) जब-तब सामने आती ही रहती है, इसके बावजूद कंधे पर झोला लटकाकर ऊँचे-ऊँचे आदर्शों की बात करना इन्हें बेहद रुचिकर लगता है। इस मामले में भी, केरल सरकार के उच्च स्तरीय राजनैतिक ड्रामे के बावजूद कानून-व्यवस्था का बलात्कार होते-होते बच गया…।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला देश का सर्वाधिक घनी मुस्लिम आबादी वाला जिला है। यहाँ के जिला मजिस्ट्रेट (परवेज़ अहमद सिद्दीकी) के कार्यालय से चुनाव के मद्देनज़र मतदाता सूची का नवीनीकरण करने के लिये जो आदेश जारी हुए, उसमें सिर्फ़ पत्र के सब्जेक्ट में "मुर्शिदाबाद" लिखा गया, इसके बाद उस पत्र में कई जगह "मुस्लिमाबाद" लिखा गया है (सन्दर्भ - दैनिक स्टेट्समैन 29 जुलाई)। वह पत्र कम से कम चार-पाँच अन्य जूनियर अधिकारियों के हाथों हस्ताक्षर होता हुआ आगे बढ़ा, लेकिन किसी ने भी "मुर्शिदाबाद" की जगह "मुस्लिमाबाद" कैसे हुआ, क्यों हुआ… के बारे में पूछताछ करना तो दूर इस गलती(?) पर ध्यान तक देना उचित नहीं समझा।
जब कलेक्टर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा कि यह सिर्फ़ "स्पेलिंग मिस्टेक" है…। अब आप कितने ही बेढंगे और अनमने तरीके से "मुर्शिदाबाद" लिखिये, देखें कि वह "मुस्लिमाबाद" कैसे बनता है… चलिये हिन्दी न सही अंग्रेजी में ही Murshidabad को Muslimabad लिखकर देखिये कि क्या स्पेलिंग मिस्टेक से यह सम्भव है? आप कहेंगे कि यह तो बड़ी छोटी सी बात है, लेकिन थोड़ा गहराई से विचार करेंगे तो आप खुद मानेंगे कि यह कोई छोटी बात नहीं है। मुर्शिदाबाद में ही कुछ समय पहले एक धार्मिक संस्थान ने स्कूलों में बंगाल के नक्शे मुफ़्त बँटवाये थे, जिसमें मुर्शिदाबाद को स्वायत्त मुस्लिम इलाका प्रदर्शित किया गया था… तब भी प्रशासन ने कुछ नहीं किया था और अब भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए है… बोलेगा कौन? वामपंथी शासन (और विचारधारा भी) पश्चिम बंगाल की 16 सीटों पर निर्णायक मतदाता बन चुके मुस्लिमों को खुश रखना चाहती है और ममता बनर्जी भी यही चाहती हैं… ठीक उसी तरह, जैसे केरल में मदनी से बाकायदा Request की गई थी कि "महोदय, जब आप चाहें, गिरफ़्तार हों जायें…"।
तात्पर्य यह है कि यदि आप किसी आतंकवादी (कसाब, अफ़ज़ल), किसी हिस्ट्रीशीटर (अब्दुल नासिर मदनी, सोहराबुद्दीन), किसी सताये हुए मुस्लिम (मकबूल फ़िदा हुसैन, इमरान हाशमी), बेगुनाह और मासूम मुस्लिम (रिज़वान, इशरत जहाँ) के पक्ष में आवाज़ उठायें तो आप सेकुलर, प्रगतिशील, मानवाधिकारवादी, संवेदनशील… और भी न जाने क्या-क्या कहलाएंगे, लेकिन जैसे ही आपने, बिना किसी ठोस सबूत के मकोका लगाकर जेल में रखी गईं साध्वी प्रज्ञा के पक्ष में कुछ कहा, कश्मीरी पण्डितों के बारे में सवाल किया, रजनीश (कश्मीर) और रिज़वान (पश्चिम बंगाल) की मौतों के बारे में तुलना की… तो आप तड़ से "साम्प्रदायिक" घोषित कर दिये जायेंगे…। 6M के हाथों बिका मीडिया, सेकुलरिस्ट, कांग्रेस-वामपंथी (यहाँ तक कि तूफ़ान को देखकर भी रेत में सिर गड़ाये बैठे शतुरमुर्ग टाइप के उच्च-मध्यमवर्गीय हिन्दू) सब मिलकर आपके पीछे पड़ जायेंगे…
बहरहाल, अब्दुल नासिर मदनी को कर्नाटक पुलिस गिरफ़्तार करके ले गई है, तो शायद दिग्विजयसिंह, सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर इसके लिये चिदम्बरम और गडकरी को जिम्मेदार ठहरायेंगे, हो सकता है वे आजमगढ़ की तरह एकाध दौरा केरल का भी कर लें… शायद मनमोहन सिंह जी रातों को ठीक से सो न सकें…(जब भी किसी "मासूम" मुस्लिम पर अत्याचार होता है तब ऐसा होता है, चाहे वह भारत का मासूम हो या ऑस्ट्रेलिया का…), शायद केरल के वामपंथी, जो बेचारे बड़े गहरे अवसाद में हैं अब कानून बदलने की माँग कर डालें… सम्भव है कि ममता बनर्जी, मदनी के समर्थन में केरल में भी एकाध रैली निकाल लें… शायद शबाना आज़मी एकाध धरना आयोजित कर लें… शायद तीस्ता जावेद सीतलवाड इस "अत्याचार" के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट चली जायें (भले ही झूठ बोलने के लिये वहाँ से 2-3 बार लताड़ खा चुकी हों)… लगे हाथों महेश भट्ट भी "सेकुलर बयान की एक खट्टी डकार" ले लें… तो भाईयों-बहनों कुछ भी हो सकता है, आखिर एक "मासूम, अमनपसन्द, बेगुनाह, संवेदनशील… और भी न जाने क्या-क्या टाइप के मुस्लिम" का सवाल है बाबा…
सन्दर्भ - http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/6319250.cms
http://expressbuzz.com/states/kerala/high-level-deal-struck-behind-curtains/198955.html
http://hindusamhati.blogspot.com/2010/08/murshidabad-now-muslimabad-impending.html
Abdul Naser Madni Arrest, Kerala Government Muslim appeasement, Kollam District and Terrorism, Amit Shah Narendra Modi and SIT, Abdul Madni Cimbatore Bomb Blast, Abdul Naser Madni Bangalore Bomb Blast, Kerala Communist Secularism, Murshidabad, Anti Hindu Media, Media Bias in India, अब्दुल नासेर मदनी, अब्दुल नासिर मदनी की गिरफ़्तारी, केरल सरकार धर्मनिरपेक्षता, अब्दुल मदनी कोयम्बटूर बम विस्फ़ोट, मदनी बंगलोर बम विस्फ़ोट, मुर्शिदाबाद, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह, हिन्दू विरोधी मीडिया, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
जो लोग लगातार देश के घटियातम समाचार चैनल देखते रहते हैं, उनसे एक मामूली सवाल है कि केरल में अब्दुल नासिर मदनी की गिरफ़्तारी से सम्बन्धित "वामपंथी सेकुलर नौटंकी" कितने लोगों ने, कितने चैनलों पर, कितने अखबारों में देखी-सुनी या पढ़ी है? कितनी बार पढ़ी है और इस महत्वपूर्ण "सेकुलर" खबर (बल्कि सेकुलर शर्म कहना ज्यादा उचित है) को कितने चैनलों या अखबारों ने अपनी हेडलाइन बनाया है? इस सवाल के जवाब में ही हमारे 6M (मार्क्स, मुल्ला, मिशनरी, मैकाले, माइनो और मार्केट) के हाथों बिके हुए मीडिया की हिन्दू-विरोधी फ़ितरत खुलकर सामने आ जायेगी। जहाँ एक तरफ़ अमित शाह की गिरफ़्तारी को मीडिया ने "राष्ट्रीय मुद्दा" बना दिया था और ऐसा माहौल बना दिया था कि यदि अमित शाह की गिरफ़्तारी नहीं हुई तो कोई साम्प्रदायिक सुनामी आयेगी और सभी सेकुलरों को बहा ले जायेगी, वहीं दूसरी तरफ़ केरल में बम विस्फ़ोट का एक आरोपी खुलेआम कानून-व्यवस्था को चुनौती देता रहा, केरल के वामपंथी गृहमंत्री ने उसे बचाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा डाला, आने वाले चुनावों मे हार से भयभीत वामपंथ ने मुस्लिमों को खुश करने के लिये केरल पुलिस का मनोबल तोड़ा… पूरे आठ दिन तक कर्नाटक पुलिस मदनी को गिरफ़्तार करने के लिये केरल में डेरा डाले रही तब कहीं जाकर उसे गिरफ़्तार कर सकी… लेकिन किसी हिन्दी न्यूज़ चैनल ने इस शर्मनाक घटना को अपनी तथाकथित "ब्रेकिंग न्यूज़" नहीं बनाया और ब्रेकिंग या मेकिंग तो छोड़िये, इस पूरे घटनाक्रम को ही ब्लैक-आउट कर दिया गया। यहाँ पर मुद्दा अमित शाह की बेगुनाही या अमित शाह से मदनी की तुलना करना नहीं है, क्योंकि अमित शाह और मदनी की कोई तुलना हो भी नहीं सकती… यहाँ पर मुद्दा है कि हिन्दुत्व विरोध के लिये मीडिया को कितने में और किसने खरीदा है? तथा वामपंथी स्टाइल का सेकुलरिज़्म मुस्लिम वोटों को खुश करने के लिये कितना नीचे गिरेगा?
मुझे विश्वास है कि अभी भी कई पाठकों को इस "सुपर-सेकुलर" घटना के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी… उनके लिये संक्षिप्त में निम्न बिन्दु जान लेना बेहद आवश्यक है ताकि वे भी जान सकें कि ढोंग से भरा वामपंथ, घातक सेकुलरिज़्म और बिकाऊ मीडिया मिलकर उन्हें किस खतरनाक स्थिति में ले जा रहे हैं…
1) कोयम्बटूर बम धमाके का मुख्य आरोपी अब्दुल नासिर मदनी फ़िलहाल केरल की PDP पार्टी का प्रमुख नेता है।
2) कर्नाटक हाईकोर्ट ने दाखिल सबूतों के आधार पर मदनी को बंगलौर बम विस्फ़ोटों के मामले में गैर-ज़मानती वारण्ट जारी कर दिया, जिसमें गिरफ़्तारी होना तय था।
3) मदनी ने इसके खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई हुई है, लेकिन कर्नाटक पुलिस को मदनी को गिरफ़्तार करके उससे पूछताछ करनी थी।
4) कर्नाटक पुलिस केरल सरकार को सूचित करके केरल पुलिस को साथ लेकर मदनी को गिरफ़्तार करने गई, लेकिन केरल की वामपंथी सरकार अपने वादे से मुकर गई और कर्नाटक सरकार के पुलिस वाले वहाँ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, क्योंकि केरल पुलिस ने मदनी को गिरफ़्तार करने में कोई रुचि नहीं दिखाई, न ही कर्नाटक पुलिस से कोई सहयोग किया (ज़ाहिर है कि वामपंथी सरकार के उच्च स्तरीय मंत्री का पुलिस पर दबाव था)।
5) इस बीच अब्दुल नासेर मदनी अनवारसेरी के एक अनाथालय में आराम से छिपा बैठा रहा, लेकिन केरल पुलिस की हिम्मत नहीं हुई कि वह अनाथाश्रम में घुसकर मदनी को गिरफ़्तार करे, क्योंकि मदनी आराम से अनाथाश्रम के अन्दर से ही प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके राज्य सरकार को सरेआम धमकी दे रहा था कि "यदि उसे हाथ लगाया गया, तो साम्प्रदायिक दंगे भड़कने का खतरा है…"। 2-3 दिन इसी ऊहापोह में गुज़र गये, पहले दिन जहाँ मदनी के सिर्फ़ 50 कार्यकर्ता अनाथाश्रम के बाहर थे और पुलिस वाले 200 थे, वक्त बीतने के साथ भीड़ बढ़ती गई और केरल पुलिस जिसके हाथ-पाँव पहले ही फ़ूले हुए थे, अब और घबरा गई। इस स्थिति का भरपूर राजनैतिक फ़ायदा लेने की वामपंथी सरकार की कोशिश उस समय बेनकाब हो गई जब कर्नाटक के गृह मंत्री और गिरफ़्तार करने आये पुलिस अधीक्षक ने केरल के DGP और IG से मिलकर मदनी को गिरफ़्तार करने में सहयोग देने की अपील की और उन्हें कोर्ट के आदेश के बारे में बताया।
6) इतना होने के बाद भी केरल पुलिस ने अनाथाश्रम के दरवाजे पर सिर्फ़ एक नोटिस लगाकर कि "अब्दुल नासिर मदनी को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देना चाहिये, क्योंकि केरल पुलिस के पास ऐसी सूचना है कि अनाथाश्रम के भीतर भारी मात्रा में हथियार भी जमा हैं…" अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। अब्दुल नासिर मदनी लगातार कहता रहा कि सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद ही वह आत्मसमर्पण करेगा (यानी जब वह चाहेगा, तब उसकी मर्जी से गिरफ़्तारी होगी…)। मदनी ने रविवार (15 अगस्त) को कहा कि वह बेगुनाह हैं और बम विस्फोट की घटना में उसकी कोई भूमिका नहीं है। मदनी ने कहा, 'मैं एक धार्मिक मुसलमान हूं और कुरान लेकर कहता हूं कि बम विस्फोट के मामले में सीधे या परोक्ष किसी भी तरह की भूमिका नहीं है। यदि कर्नाटक पुलिस चाहती है कि वह मुझे गिरफ्तार किए बगैर वापस नहीं जाएगी तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन इसके बाद हालात अस्थिर हो जाएंगे।' (ऐसी ही धमकी पूरे भारत को कश्मीर की तरफ़ से भी दी जाती है कि अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी दी तो ठीक नहीं होगा… और "तथाकथित महाशक्ति भारत" के नेता सिर्फ़ हें हें हें हें हें करते रहते हैं…)। खैर… केरल पुलिस (यानी सेकुलर सरकार द्वारा आदेशित पुलिस) ने भी सरेआम "गिड़गिड़ाते हुए" मदनी से कहा कि अदालत के आदेश को देखते हुए वह गिरफ़्तारी में "सहयोग"(?) प्रदान करे…।
7) अन्ततः केरल की वामपंथी सरकार ने दिल पर पत्थर रखकर आठ दिन की नौटंकी के बाद अब्दुल नासिर मदनी को कर्नाटक पुलिस के हवाले किया (वह भी उस दिन, जिस दिन मदनी ने चाहा…) और छाती पीट-पीटकर इस बात की पूरी व्यवस्था कर ली कि लोग समझें (यानी मुस्लिम वोटर समझें) कि अब्दुल नासिर मदनी एक बेगुनाह, बेकसूर, मासूम, संवेदनशील इंसान है, केरल पुलिस की मजबूरी(?) थी कि वह मदनी को कर्नाटक के हवाले करती… आदि-आदि।
चाहे पश्चिम बंगाल हो या केरल, वामपंथियों और सेकुलरों की ऐसी नग्न धर्मनिरपेक्षता (शर्मनिरपेक्षता) जब-तब सामने आती ही रहती है, इसके बावजूद कंधे पर झोला लटकाकर ऊँचे-ऊँचे आदर्शों की बात करना इन्हें बेहद रुचिकर लगता है। इस मामले में भी, केरल सरकार के उच्च स्तरीय राजनैतिक ड्रामे के बावजूद कानून-व्यवस्था का बलात्कार होते-होते बच गया…।
खतरे की घण्टी बजाता एक और उदाहरण देखिये -
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला देश का सर्वाधिक घनी मुस्लिम आबादी वाला जिला है। यहाँ के जिला मजिस्ट्रेट (परवेज़ अहमद सिद्दीकी) के कार्यालय से चुनाव के मद्देनज़र मतदाता सूची का नवीनीकरण करने के लिये जो आदेश जारी हुए, उसमें सिर्फ़ पत्र के सब्जेक्ट में "मुर्शिदाबाद" लिखा गया, इसके बाद उस पत्र में कई जगह "मुस्लिमाबाद" लिखा गया है (सन्दर्भ - दैनिक स्टेट्समैन 29 जुलाई)। वह पत्र कम से कम चार-पाँच अन्य जूनियर अधिकारियों के हाथों हस्ताक्षर होता हुआ आगे बढ़ा, लेकिन किसी ने भी "मुर्शिदाबाद" की जगह "मुस्लिमाबाद" कैसे हुआ, क्यों हुआ… के बारे में पूछताछ करना तो दूर इस गलती(?) पर ध्यान तक देना उचित नहीं समझा।
जब कलेक्टर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा कि यह सिर्फ़ "स्पेलिंग मिस्टेक" है…। अब आप कितने ही बेढंगे और अनमने तरीके से "मुर्शिदाबाद" लिखिये, देखें कि वह "मुस्लिमाबाद" कैसे बनता है… चलिये हिन्दी न सही अंग्रेजी में ही Murshidabad को Muslimabad लिखकर देखिये कि क्या स्पेलिंग मिस्टेक से यह सम्भव है? आप कहेंगे कि यह तो बड़ी छोटी सी बात है, लेकिन थोड़ा गहराई से विचार करेंगे तो आप खुद मानेंगे कि यह कोई छोटी बात नहीं है। मुर्शिदाबाद में ही कुछ समय पहले एक धार्मिक संस्थान ने स्कूलों में बंगाल के नक्शे मुफ़्त बँटवाये थे, जिसमें मुर्शिदाबाद को स्वायत्त मुस्लिम इलाका प्रदर्शित किया गया था… तब भी प्रशासन ने कुछ नहीं किया था और अब भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए है… बोलेगा कौन? वामपंथी शासन (और विचारधारा भी) पश्चिम बंगाल की 16 सीटों पर निर्णायक मतदाता बन चुके मुस्लिमों को खुश रखना चाहती है और ममता बनर्जी भी यही चाहती हैं… ठीक उसी तरह, जैसे केरल में मदनी से बाकायदा Request की गई थी कि "महोदय, जब आप चाहें, गिरफ़्तार हों जायें…"।
तात्पर्य यह है कि यदि आप किसी आतंकवादी (कसाब, अफ़ज़ल), किसी हिस्ट्रीशीटर (अब्दुल नासिर मदनी, सोहराबुद्दीन), किसी सताये हुए मुस्लिम (मकबूल फ़िदा हुसैन, इमरान हाशमी), बेगुनाह और मासूम मुस्लिम (रिज़वान, इशरत जहाँ) के पक्ष में आवाज़ उठायें तो आप सेकुलर, प्रगतिशील, मानवाधिकारवादी, संवेदनशील… और भी न जाने क्या-क्या कहलाएंगे, लेकिन जैसे ही आपने, बिना किसी ठोस सबूत के मकोका लगाकर जेल में रखी गईं साध्वी प्रज्ञा के पक्ष में कुछ कहा, कश्मीरी पण्डितों के बारे में सवाल किया, रजनीश (कश्मीर) और रिज़वान (पश्चिम बंगाल) की मौतों के बारे में तुलना की… तो आप तड़ से "साम्प्रदायिक" घोषित कर दिये जायेंगे…। 6M के हाथों बिका मीडिया, सेकुलरिस्ट, कांग्रेस-वामपंथी (यहाँ तक कि तूफ़ान को देखकर भी रेत में सिर गड़ाये बैठे शतुरमुर्ग टाइप के उच्च-मध्यमवर्गीय हिन्दू) सब मिलकर आपके पीछे पड़ जायेंगे…
बहरहाल, अब्दुल नासिर मदनी को कर्नाटक पुलिस गिरफ़्तार करके ले गई है, तो शायद दिग्विजयसिंह, सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर इसके लिये चिदम्बरम और गडकरी को जिम्मेदार ठहरायेंगे, हो सकता है वे आजमगढ़ की तरह एकाध दौरा केरल का भी कर लें… शायद मनमोहन सिंह जी रातों को ठीक से सो न सकें…(जब भी किसी "मासूम" मुस्लिम पर अत्याचार होता है तब ऐसा होता है, चाहे वह भारत का मासूम हो या ऑस्ट्रेलिया का…), शायद केरल के वामपंथी, जो बेचारे बड़े गहरे अवसाद में हैं अब कानून बदलने की माँग कर डालें… सम्भव है कि ममता बनर्जी, मदनी के समर्थन में केरल में भी एकाध रैली निकाल लें… शायद शबाना आज़मी एकाध धरना आयोजित कर लें… शायद तीस्ता जावेद सीतलवाड इस "अत्याचार" के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट चली जायें (भले ही झूठ बोलने के लिये वहाँ से 2-3 बार लताड़ खा चुकी हों)… लगे हाथों महेश भट्ट भी "सेकुलर बयान की एक खट्टी डकार" ले लें… तो भाईयों-बहनों कुछ भी हो सकता है, आखिर एक "मासूम, अमनपसन्द, बेगुनाह, संवेदनशील… और भी न जाने क्या-क्या टाइप के मुस्लिम" का सवाल है बाबा…
सन्दर्भ - http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/6319250.cms
http://expressbuzz.com/states/kerala/high-level-deal-struck-behind-curtains/198955.html
http://hindusamhati.blogspot.com/2010/08/murshidabad-now-muslimabad-impending.html
Abdul Naser Madni Arrest, Kerala Government Muslim appeasement, Kollam District and Terrorism, Amit Shah Narendra Modi and SIT, Abdul Madni Cimbatore Bomb Blast, Abdul Naser Madni Bangalore Bomb Blast, Kerala Communist Secularism, Murshidabad, Anti Hindu Media, Media Bias in India, अब्दुल नासेर मदनी, अब्दुल नासिर मदनी की गिरफ़्तारी, केरल सरकार धर्मनिरपेक्षता, अब्दुल मदनी कोयम्बटूर बम विस्फ़ोट, मदनी बंगलोर बम विस्फ़ोट, मुर्शिदाबाद, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह, हिन्दू विरोधी मीडिया, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
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