भारत की जनगणना 2011 और ईसाई जनसँख्या
हाल ही में केन्द्र सरकार ने विभिन्न संगठनों की माँग पर 2011 की जनगणना के धर्म संबंधी आँकड़े आधिकारिक रूप से उजागर किए हैं. जैसे ही यह आँकड़े सामने आए, उसके बाद से ही देश के भिन्न-भिन्न वर्गों सहित मीडिया और बुद्धिजीवियों में बहस छिड़ गई है. हिन्दू धार्मिक संगठन इन प्रकाशित आँकड़ों को गलत या विवादित बता रहे हैं, क्योंकि आने वाले भविष्य में इन्हीं का अस्तित्त्व दाँव पर लगने जा रहा है.
FTII पुणे और वामपंथी गिरोह के कारनामे
हाल ही में आई किसी नई फिल्म में एक संवाद था कि, “वो करें तो चमत्कार, और हम करें तो बलात्कार”. शिक्षा संस्थाओं के “भगवाकरण” और अन्य संस्थाओं को दक्षिणपंथी बनाने का आरोप ठीक ऐसा ही है जैसे कोई बलात्कारी व्यक्ति खुद को संत घोषित करते हुए सामने वाले पर चोरी का आरोप मढ़ने की कोशिश करे. मोदी सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए जनता के धन से चलने वाली इस संस्था का प्रमुख नियुक्त करने को लेकर जैसा फूहड़ आंदोलन किया जा रहा है, वह इसी मानसिकता का नतीजा है.