Soharabuddin Encounter Case and Gujarat Police
सोहराब के फ़र्जी एनकाऊँटर पर बडा बावेला मचा हुआ है और गुजरात पुलिस के कुछ अधिकारियों पर केस भी चालू हो गया है (हालाँकि सोहराब पर हल्ला ज्यादा इसलिये मचा है क्योंकि एक तो वह मुसलमान है और फ़िर गुजरात में मारा गया है, तो फ़िर क्या कहने... सेकुलरवादियों और मानवाधिकारवादियों के पास काम ही काम)... बहरहाल यह बहस का अलग विषय है... मेरा फ़ोकस है सोहराब पर हुई कार्रवाई ।
Gulzar - Dil Dhoondhta hai (Mausam)
हिन्दी फ़िल्मों के गीतों और गीतकारों के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और आगे भी लिखा जाता रहेगा । गुलजा़र एक ऐसे गीतकार हैं जिनके बारे में जितना भी लिखा जाये कम है ।
Why Media is So Negative in India?
गत वर्ष एक समाचार पढा था कि हमारे राष्ट्रपति डॉ.अब्दुल कलाम ने हर वर्ष आयोजित होने वाली इफ़्तार पार्टी को रद्द कर दिया है, एवं उस पार्टी के खर्च को एक अनाथालय को दान करने की घोषणा की है, लगभग उन्हीं दिनों में रामविलास पासवान द्वारा आयोजित इफ़्तार पार्टी में उन्हें लालू प्रसाद यादव को जलेबी खिलाते हुए एवं दाँत निपोरते हुए चित्र समाचार पत्रों मे नजर आये थे ।
South and North States of India :- Increasing Difference
विश्व बैंक की ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल और उत्तरप्रदेश के मानव विकास सूचकांक में काफ़ी बडा़ अन्तर आ गया है । शिक्षा, स्वास्थ्य, जनभागीदारी के कार्यक्रम, शिशु मृत्यु दर, बालिका साक्षरता, महिला जागरूकता आदि कई बिन्दुओं पर विश्व बैंक ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि सामाजिक विकास की दृष्टि से केरल भारत के अग्रणी राज्यों में से एक है, और उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश (जिसकी स्थिति बाकी तीनों से कुछ बेहतर बताई गई है) ये चारों राज्य अब तक "बीमारू" राज्यों की श्रेणी से बाहर नहीं निकल सके हैं, और ना ही निकट भविष्य में इसकी कोई सम्भावना है ।
नव-पपाराजियों की धुलाई पर स्यापा क्यों ?
कल ही खबर पढी कि ऐश-अभि की शादी का कवरेज करने गये पत्रकारों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झडप हुई, कुछ दिन पहले स्टार न्यूज के दफ़्तर पर भी हमला हुआ, जिसे प्रेस पर हमला बताकर कई भाईयों ने निन्दा की...तो भाईयों सबसे पहले तो यह खयाल दिल से निकाल दें कि ये लोग पत्रकार हैं, ये लोग हैं भारत में पनप रही "नव-पपाराजियों" की भीड़, जिसका पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं है..इन लोगों के लिये भारत और भारत की समस्याएं मतलब है...
आप क्या सोचते हैं ?
आजादी के ६० वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भारत के बारे में विभिन्न आयु समूहों की सोच अलग-अलग हो गई है । आप क्या सोचते हैं, यह इस बात पर निर्भर हो गया है कि आप कौन हैं, आप क्या हैं, आपकी जाति क्या है, धर्म क्या है, शिक्षा क्या है, अमीर हैं या गरीब हैं आदि खाँचों में हमारी सोच बँटी हुई है । कहा जाता है कि देश, काल और परिस्थिति के अनुसार मनुष्य की सोच और उसका व्यवहार बदलता रहता है, परन्तु भारत के बारे में यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि यहाँ बहुसंख्यक अवाम की कोई सोच (जिसे हम "विचार" कहते हैं) विकसित हुई ही नहीं ।
Nehru Dynasty and Gandhi Family in India
Hindi Films Direction and Funny Scenes
भारत में फ़िल्में आम जनजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं । आम आदमी आज भी फ़िल्मों के आकर्षण में इतना बँधा हुआ है कि कई बार वह दिखाये जाने वाले दृश्यों को असली समझ लेता है, खासकर यह स्थिति किशोरवय एवं युवा वर्ग के दर्शकों के साथ ज्यादा आती है । एक बार महानायक अमिताभ बच्चन ने एक मुलाकात में कहा भी था कि "फ़िल्म माध्यम खासकर मसाला और मारधाड़ वाली फ़िल्में 'मेक बिलीव' का अनुपम उदाहरण होती हैं"
असली खतरा कौन ?
ईराक युद्ध अब लगभग समाप्त हो चुका है (अमेरिका के लिये) और अमेरिका और उसकी कम्पनियों ने वहाँ पर अपना शिकंजा कस लिया है । जिस बहाने को लेकर ईराक पर हमला किया गया था, अब अमेरिका / ब्रिटेन का सफ़ेद झूठ सिद्ध हो चुका है, क्योंकि जिन व्यापक विनाश के हथियारों का ढोल पीटा गया था, वे कहीं नहीं मिले, जैसा कि हथियार निरीक्षक हैन्स ब्लिक्स पहले ही कह चुके थे । अब अमेरिका का अगला निशाना बनने जा रहा है ईरान, इस सूरतेहाल में कुछ प्रश्नों पर विचार करें, जिनके उत्तर संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न रिपोर्टों, समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों से लिये गये हैं -
Secularism in India and Politics
क्या आप धर्मनिरपेक्ष हैं ? जरा फ़िर सोचिये और स्वयं के लिये इन प्रश्नों के उत्तर खोजिये.....