हिंदूवादियों को प्यार भरा एक पत्र
(कूटनीति से अनजान, "उतावले हिन्दूवादियों" को भाई गौरव शर्मा की एक तेज़ाबी, लेकिन यथार्थवादी नसीहत...)
खुर्शीद अनवर याद है , जेएनयू का बहुत बड़ा नारीवादी बुद्धिजीवी था और बलात्कारी भी , पर दुस्साहस देखिये जब उसका मामला आया तब पूरी सेक्युलर जमात उसके पीछे खड़ी हो गयी , वही सेक्युलर जमात जो बुद्धिजीवियों से भरी पडी है और जहाँ "एक हो जाओ" जैसी बातें करना बचकाना समझा जाना चाहिए , खैर हमने सोचा की इकलौता केस होगा , फिर लिफ्ट में अपनी बच्ची की सहेली के साथ बलात्कार करने वाले वहशी तरुण तेजपाल की बारी आई , बड़े बड़े बुद्धिजीवियों ने उसके समर्थन में अख़बार के अख़बार भर डाले , नहीं नहीं साहब जमानत तो मिलना चाहिए उन्हें रेप ही तो किया है मर्डर थोड़े ही किया , ऐसे जुमले फेंके गए , कल तीस्ता जैसी फ्रॉड दलाल के समर्थन में सैकड़ों सेक्युलर सडकों पर उतर गए, दंगा पीड़ितों का पैसा खा जाने वाली के सारे अपराध सिर्फ इसलिए माफ़ हो गए क्योंकि उसने मोदी से लोहा लिया , ट्विटर , फेसबुक पर उसके समर्थन में मुहीम चल रही है , आज दलालों की दलाल बुरखा दत्त एनडीटीवी से विदाई ले रही हैं , ट्विटर पर उसकी विदाई का ऐसे वर्णन हो रहा है जैसे कोई योद्धा बरसों तक लड़ने के बाद रिटायर हुआ हो , और ये सब तथाकथित सेक्युलर बुद्धिजीवी ही तो हैं जो उसके सारे गुणदोष भूलकर अपने साथी के साथ खड़े हैं!! इन सब का एजेंडा साफ़ है हिन्दुत्ववादी ताकतों को हराना , ये अपने दिमाग में कोई फितूर नहीं पालते की सही क्या है और गलत क्या है , कॉमरेड है बस , बात खत्म !!
एक हम हैं... महान बुद्धिजीवी , किरण बेदी जैसी महिला हमारी आँखों के सामने कृष्णानगर से हार गयी और हम वहीँ पान की दुकान पर पिचकारी मारते रहे , कहते हैं की किरण बेदी हमारी विचारधारा के लिए नयी थी इसलिए काम नहीं किया .....तो भाई मेरे..... अरविन्द केजरीवाल नितीश कुमार और प्रकाश करात का कोई लंगोटिया यार था क्या ? फिर क्यों वे सब उसके पीछे एक हो गए ? क्यों गोयल और मुखियों की तरह उन्हें ये डर नहीं सताया की ये आदमी आगे बढ़ गया तो हमारा करियर भी ख़राब कर देगा ? देखा जाए तो असली बुद्धिजीवी तो हम हिंदूवादी हैं क्योंकि हम ज्यादा देर तक किसी की अच्छाई के साथ खड़े हो ही नहीं सकते , मीन मेक निकालना , आपस में ही अपनी बौद्धिक श्रेष्ठता की होड़ मचाना कोई हमसे सीखे , हमसे कोई कह दे की आपको 1 महीने तक मोदी के खिलाफ कुछ नहीं लिखना है फिर देखिये पेट दुखने लगेगा, दस्त लग जायेंगे , हम बाल नोचने लगेंगे पर थोड़े दिन चुप नहीं रह सकेंगे ? आखिर निष्पक्ष फेसबुकिस्म भी कोई चीज़ है !! और ये मानसिकता फेसबुक तक नहीं बल्कि ऊपर से लेकर ज़मीन पर काम करने तक फैली है ...जेटली और राजनाथ को विरोधियों ने नहीं बल्कि हमने खुद फ्लॉप किया , खैर जब हम मोदी को ही नहीं बक्शते तो ये कहाँ के सूरमा हैं !!
जैसे कुछ महीनों पहले मोदी की फ़र्ज़ी चापलूसी करना एक फैशन था वैसे ही आजकल मोदी को गरियाना भी एक फैशन हो चला है , छोटा छोटा फेसबुकिया भी अपने आप को मोदी से बड़ा हिंदूवादी समझता है , हमें मोदी से ये शिकायत है की वो हमारे हिसाब से क्यों नहीं चलता , काम होते हुए दिख तो रहा है पर हमारी इन्द्रियों को तुष्ट करने वाली स्टाइल से नहीं हो रहा , हम चाहते हैं की वाड्रा को घर से घसीटते हुए सड़क पे पीटते पीटते थाने तक लाया जाए जबकि मोदी अपनी स्टाइल से कानून के सहारे वही सब कर रहे हैं , हम चाहते हैं गौ वध , धर्मान्तरण क़ानून अभी के अभी लाया जाये भले ही ओंधे मुँह गिर किरकिरी क्यों ना हो जाये , जबकि मोदी उसके लिए राज्यसभा में बहुमत इकठा करने की जुगत में हैं !! हम चाहते हैं की अरब देशों की चापलूसी बंद हो और इज़राइल से दोस्ती बढे ......तो उसके लिए तेल की निर्भरता खत्म करनी होगी , अब रूस के साथ संधि के बाद ये निर्भरता खत्म होने की पहल शुरू हुई है !! हम चाहते हैं मीडिया पर लगाम कसी जाए पर बताते नहीं की कैसे ? क्या स्टूडियों में घुस जाएँ और गर्दन पकड़ लें ? अब बात ये है की मीडिया की जान उनके व्यावसायिक घपलों में छिपी है जिन्हे एक एक कर बाहर लाया जा रहा है , डेक्कन क्रॉनिकल के मालिक की गिरफ़्तारी उसी कड़ी में समझी जाये , एनडीटीवी बहुत जल्द कानून के शिकंजे में आने वाला है , आईबीएन समूह बहुत हद तक अपनी लाइन सही कर चुका है !!
एक बात गाँठ बाँध के रख लो दोस्तों , मोदी हिन्दुओं की आखिरी उम्मीद है , सैकड़ों साल से गायें कट रही हैं , पांच साल और कट जाएँगी तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा , पर अगली बार मोदी नहीं आया तो ये सारे सेक्युलर की खाल में बैठे जेहादी मिलके तुम्हारा ऐसा हश्र करेंगे की आने वाले कई सालों तक किसी दूसरे मोदी के दिल्ली तक पहुँचने का सपना देखने में भी डर लगेगा !! ऐसा नहीं है की मैं मोदी से हर चीज़ में सहमत हूँ , विरोध मैंने भी किया है, पर बहुत विचार के बाद अब चुप रहना सीख लिया है , उसे पांच साल मौका देने का मन बना लिया है क्योंकि मेरे मोदी के बारे में विचार भले कुछ भी हों....... मुझे मेरे और मेरी आने वाली पीढ़ियों के दुश्मनों का पूरा आभास है ,और जिन हिन्दुओं को ये आभास होते हुए भी मोदी को गरियाने में एक विशिष्ट संतुष्टि का अनुभव होता है उन्हें आज की परिस्थितियों में मैं "महामूर्ख" की श्रेणी में रखना पसंद करूँगा !!
समय की ज़रुरत है की मोदी के विकास मन्त्र को , उपलब्धियों को घर घर पहुँचाया जाए , क्योंकि मोदी को वोट सिर्फ आपने ही नहीं कईयों ने कई कारण से दिया है , आप घराती हो आपके लिए खाना बचे न बचे ये मेहमान आपके घर से भूखे नहीं जाना चाहियें , हिन्दुओं को भी उनकी सुरक्षा और भविष्य के संकट समझाना मुश्किल है और विकास के मुद्दे समझाना आसान !! और ये करना भी इसलिए जरूरी है ताकि एक हिंदूवादी ना सही हिन्दू हितैषी स्थिर सरकार भारतवर्ष में बनी रहे क्योंकि याद रहे जब तक मुर्गी ज़िंदा रहेगी तब तक ही अंडे देगी , अटल जी की तरह उसका भी पेट चीर दोगे तो अगला मनमोहन केजरीवाल के रूप में पाओगे , फिर लड़ते रहना इन टोपीवालों से ज़िंदगी भर !!
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