यह किसी फ़िल्म की कहानी नहीं है, हकीकत है… और इस समूचे महाघोटाले में जहाँ एक तरफ़ भलेमानुष(?) प्रधानमंत्री की बेचारगी साफ़ दिखाई देती है, वहीं द पायोनियर और दक्षिण के इक्का-दुक्का अखबारों को छोड़कर इस पूरे घटनाक्रम में राष्ट्रीय मीडिया(?) की अनदेखी और चुप्पी बहुत रहस्यमयी है। यहाँ तक कि पायोनियर और द हिन्दू अखबारों ने सीबीआई अधिकारियों की आपसी “आधिकारिक” चिठ्ठी-पत्री को सार्वजनिक क्यों नहीं किया यह भी आश्चर्य की बात है। (कुछ दस्तावेज, जो अखबारों ने प्रकाशित नहीं किये अर्थात सीबीआई, CBDT जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच की प्रगति और रिपोर्ट, पत्राचार आदि… सूत्रों के हवाले से मुझे मिले हैं, जिन्हें इस पोस्ट में आगे पेश किया जायेगा।)
जी हाँ, तो बात हो रही है, दूरसंचार क्षेत्र में 2G स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले (2G Spectrum Scam), मंत्री ए राजा (A. Raja) की भूमिका, उनकी महिला मित्र नीरा राडिया (Nira Radia) की संदेहास्पद हलचलें तथा सीबीआई की मजबूरी की। गत कुछ माह से द पायोनियर ने इस पूरे घोटाले की परत-दर-परत खोलकर रखी है तथा करुणानिधि, प्रधानमंत्री तथा ए राजा को लगातार परेशान रखा है। पिछले कुछ महीनों से दूरसंचार मंत्री ए राजा सतत खबरों में बने हुए हैं, हालांकि जितना बने होना चाहिये उतने तो फ़िर भी नहीं बने हैं, क्योंकि जिस प्रकार लालूप्रसाद के चारा घोटाले अथवा बंगारू लक्ष्मण रिश्वत वाले मामले में मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया था, वैसा कुछ राजा के मामले में अब तक तो दिखाई नहीं दिया है। जबकि राजा के घोटाले को देखकर तो लालूप्रसाद यादव बेहद शर्मिन्दा हो जायेंगे, और उस दिन को लानत भेजेंगे जब उन्होंने दूरसंचार की जगह रेल्वे मंत्रालय चुना होगा। साथ ही शशि थरूर भी उस दिन को कोस रहे होंगे जब उन्होंने खामख्वाह ट्विटर पर ललित मोदी से पंगा लिया और उनकी छुट्टी हो गई।
फ़िर भी शशि थरूर और ए राजा के मामलों में एक बात कॉमन है, वह है एक “औरत” की सक्रिय (बल्कि अति-सक्रिय) भागीदारी। थरूर वाले केस में सुनन्दा पुष्कर थी तो राजा बाबू के साथ “मैं तो छाया बन तेरे संग-संग डोलूं…” की तर्ज पर लन्दन निवासी नीरा राडिया हैं। ठीक लालूप्रसाद वाली शर्मीली मानसिक स्थिति में सुनन्दा पुष्कर भी आ सकती हैं, यदि उन्हें पता चले कि नीरा राडिया ने राजा बाबू के साथ मिलकर जितना माल कमाया है, उतना वह सात पुश्तों में भी नहीं कमा सकतीं और फ़िर भी न तो नीरा राडिया को अब तक कुछ हुआ, न ही राजा बाबू का बाल भी बाँका हुआ, जबकि सुनन्दा के स्वेट शेयर भी गये और थरूर भी मंत्रिमण्डल से बाहर हो गये।
जिन्हें इस महाघोटाले की जानकारी नही है, उन पाठकों के लिये पूरा मामला एक बार फ़िर संक्षेप में बताता हूं –
जैसा कि सभी जानते हैं, टेलीफ़ोन-मोबाइल ऑपरेटरों को क्षेत्र विशेष में अपने मोबाइल चलाने के लिये लाइसेंस लेना पड़ता है और उन्हें एक निश्चित फ़्रीक्वेंसी अलॉट की जाती है, ताकि वे उस पर मोबाइल सेवा प्रदान कर सकें। मोबाइल की पहली जनरेशन जल्दी ही पुरानी हो गई और 2G तकनीक का ज़माना आया, तब बड़े-बड़े मोबाइल ऑपरेटरों ने अपनी-अपनी पसन्द के इलाके में 2G का स्पेक्ट्रम (फ़्रीक्वेंसी रेंज) हासिल करने के लिये जोर लगाना शुरु किया, ताकि उन्हें अधिक मालदार इलाके मिलें (उदाहरण के तौर पर हर मोबाइल कम्पनी चाहेगी कि वह मुम्बई, गुजरात, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में अच्छी फ़्रीक्वेंसी और अधिक इलाका कवर कर ले, जबकि झारखण्ड, बिहार, उत्तर-पूर्व के राज्य, उड़ीसा आदि गरीब राज्यों में कोई कम्पनी नहीं जाना चाहेगी, क्योंकि वहाँ से उसे कम राजस्व मिलेगा)। सौदेबाजी और जोड़तोड़ की इस स्टेज पर धमाकेदार एण्ट्री होती है टेलीकॉम मंत्री राजा बाबू की महिला मित्र, “नीरा राडिया” की।
अब सवाल उठता है कि नीरा राडिया कौन हैं? नीरा राडिया चार-पाँच मैनेजमेण्ट कंसलटेंट (प्रबन्धन सलाहकार) कम्पनियों की मालिक हैं, जो “कंसल्टेंट” (यानी सलाह), “लॉबीइंग” (यानी पक्ष में आवाज़ उठाना), “पीआर” (जनसंपर्क) और “ब्रोकर” (खड़ी भाषा में “दलाली”) जैसे सभी काम करती हैं। इसी सत्ता और पैसे की दलाल नीरा राडिया की जुगलबन्दी, हमारे राजा बाबू से विगत चार साल से भी अधिक समय से चली आ रही है। जब विभिन्न कम्पनियों को स्पेक्ट्रम देने की नौबत आई, तब भारती और टाटा समेत सभी कम्पनियों ने जोर-आजमाइश शुरु की। ज़ाहिर सी बात है कि इस जोर-आजमाइश में जो भी मंत्री जी के सबसे अधिक नज़दीक होगा, जिसकी बात मंत्री जी “दिन-रात” सबसे अधिक सुनते हों, उसी के जरिये कोशिश की जायेगी, इसलिये नीरा राडिया एकदम उपयुक्त और फ़िट व्यक्ति थी। नीरा राडिया ने भी पहले से ही कुछ फ़र्जी कम्पनियाँ खड़ी कर रखी थीं, इसलिये उसने भी मित्तल, टाटा आदि को आसानी से हाथ धरने नहीं दिया और बाले-बाले ही स्पेक्ट्रम की अच्छी और मोटी मलाई अलग से छाँटकर “अपने लोगों” के लिये रख ली।
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विशेष नोट :- कई महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेजों का अनुवाद मैं आपको अगले भागों में मुहैया करवाता रहूंगा, क्योंकि जो कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ है वह आधा-अधूरा है और अखबारों की अपनी “आर्थिक मजबूरियों” और राजनीति की वजह से अप्रकाशित हैं, लेकिन खबरें हैं बड़ी सनसनीखेज़, मजेदार और सच्ची, क्योंकि यह CBI के हैं। इस घोटाले की जाँच कर रहे IPS अधिकारी विनीत अग्रवाल का भी तबादला कर दिया गया है। जिन चुनिंदा रिपोर्टों का अनुवाद अगले भागों में दिया जायेगा, वे सीबीआई, CBDT विभागों के अन्दरूनी विभागीय पत्राचार हैं, लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि हमारी सीबीआई और जाँच एजेंसियां चुस्त-दुरुस्त हैं, काम करने की इच्छुक और सक्षम भी हैं, यदि उन्हें राजनैतिक शिकंजे और दबाव से मुक्त कर दिया जाये तो वे भ्रष्ट नेताओं-अधिकारियों-उद्योगपतियों के “बदकार त्रिकोण” को छिन्न-भिन्न कर देंगी। ऐसा भी नहीं है कि मैं कोई धमाका या भण्डाफ़ोड़ कर रहा हूं क्योंकि जिन पत्रों का मैंने उल्लेख किया है, जब वे मेरे जैसे छोटे-मोटे ब्लॉगर के पास पहुँच सकते हैं तो निश्चित ही देश के प्रमुख अखबारों के पास भी होंगे ही, अन्तर सिर्फ़ इतना है कि उन्होंने फ़ोन टेपिंग की बातचीत और सफ़ेदपोशों के सौदे तथा नाम प्रकाशित नहीं किये…
(भाग-2 में हम तारीखवार सिलसिले से देखेंगे कि राजा बाबू और नीरा राडिया ने इस महाघोटाले को किस तरह अंजाम दिया…तथा कौन-कौन से बड़े चौंकाने वाले नाम इसमें शामिल हैं… )
2G Spectrum Scam, 2G Scam, Neera Radia and A Raja